महाशिवरात्रि पर रुद्राभिषेक से मनोवाञ्छित फल की प्राप्ति होती है - डाँ.देव नारायण पाठक
अहमदाबाद, गुजरात के ज्योतिर्विद डॉ देव नारायण पाठक ने बताया कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव के पूजन और रुद्राभिषेक का विशेष महत्व होता है। इस दिन कामना परकरुद्राभिषेक करने से कार्य की सिद्धि शीघ्र होती है। धन की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को स्फटिक शिव लिंग पर गो दुग्ध से, सुख की इच्छा रखने वाले व्यक्ति को दुग्ध मिश्रित भाँग से, पुत्राभिलाषी को मक्खन या घी से, मकान भूमि वाहन आदि की इच्छा रखने वाले को शहद से रूद्राष्टाध्यायी द्वारा अभिषेक करना चाहिए। डाँ. पाठक ने कामना परक रुद्राभिषेक के सम्बंध में ये वातें बतायी, और बताया कि शिवलिंग पूजन से ग्रहबाधा भी दूर होती है जैसे यदि किसी जातक की कुण्डली में सूर्य जनित रोग हो तो आक के पुष्प से,चन्द्र जनित कष्ट. हो तो शिव लिंग पर काले तिल एवं दुग्धाभिषेक, मंगल जनित कष्ट दूर करने के लिए गुरुच के रस से,बुध जनित रोगों मे विधारा के रस से,गुरु जनित रोगों में हल्दी मिश्रित दुग्ध से,शुक्र जनित कष्ट होने पर गोदुग्ध की छाछ से,शनि से सम्बंधित कष्ट दूर करने के लिए कुशा मिश्रण गंगा जल से रुद्राभिषेक, तथा राहुऔरकेतु जनित रोगों से मुक्ति के लिए भाँग और धतूरे के रस से रुद्राभिषेक करना चाहिए।इससे सभी प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं।
डॉ पाठक ने बताया कि पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा।
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