श्रीमती पुष्पा जी को समर्पित (VIP.Sam.)

श्रीमती पुष्पा जी को समर्पित (VIP.Sam.)

" पुष्पों से पुष्पित व पल्लवित करते रहें,
अपने मन को सदा प्रफुल्लित करते रहें।

नाम है आपकी श्रीमती पुष्पा,
चंद्रमा-जैसी आपमें हैं शीतलता।

दिल में नहीं है किसी से कोई बैर,
क़दम बढ़ाए और करें जनता की ओर सैर। 

देखो! समाज की दयनीय स्थिति कितनी बिगड़ गई,
लोगों में मानवता, नैतिकता व बुद्धिमत्ता क्षीण हो गई। 

अपने अतीत को एक बार जानें,
वैसी त्रुटियों को पुनः न दोहराएं।

मणिपुर की घटना तो सुनी होगी,
स्त्रियों की क्या हालत हुई होगी ?

पुरूषों ने अपने पौरूष को खो दिया,
स्त्रियों की स्त्रीत्व को कदापि न बचा सका।

अपनी स्त्रीत्व को पहचाना सीखें,
अपने अंदर खोई हुई स्त्री शक्ति को जगाएं।

कभी मीराबाई व सहजोबाई रूप में आना,
कभी सिद्धिदात्री तो कभी महागौरी बन जाना।

नारी नारीशक्ति का प्रतीक है, 
दया, क्षमा व करूणा इसके उदाहरण हैं।

  भवदीय :- प्रकाश राय (युवा साहित्यकार)🖊️🖊️
समस्तीपुर, बिहार

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