हम विश्व देव की संतानें
(कविता)
हम विश्व देव की संतानें,
सबके हृदयों में छाए हैं ।
युगों युगों से, हर युग को,
समृद्ध बनाते आये हैं।।
पाषाण काल से, अब तक भी
हर तकनीकी, सन्यंत्र बनाये है।
खुरपी, हल की, भी खोज किया,
खेती को सुलभ कराये हैं।।
अविष्कृत कर सामानों को,जन जन में ख़ुशियाँ लाए हैं। हमविश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हम धातु कर्म के माहिर थे,
हर पदार्थ गुण खोज किया।
हम वास्तु शास्त्र के जनक रहें,
सर्जन हमने हर रोज़ किया।।
हम वैदिक ब्राह्मण पूज्य मगर, कुछ लोग हमे भरमाये हैं।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हैं विश्व देव ही सृष्टि सृजक,
शब्दों ध्वनियों के ज्ञाता हैं ।
सब जीवों को आकार दिया,
वह परम पूज्य विधाता है।।
गुण गान हमेशा ही होता,हम करके भी दिखलाए हैं।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सब देवों को अवतार दिया,
वह परम ब्रह्म जग स्रष्टा है।
ग्रंथों वेदों में वर्णित है,
वह विश्वकर्मन! युग द्रष्टा है।।
हम सृष्टि सृजक,उस परम शक्ति का नाम बताने आए हैं।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हमने हर चीज ईजाद किए।
लकड़ी से भी रथ बना दिए।।
नाना यंत्रों से, सुसज्जित,
पुष्पक विमान जलयान दिए।।
यांत्रिकी और श्रम कौशल से,ऑद्योगिक क्रांति भी लायें हैं।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हर क़ौमों में सिरमौर्य बने,
हम शास्त्रों के भी ज्ञाता थे।
शंकराचार्य, त्वष्टा कुल के,
अपने कुल के व्याख्याता थे।।
हम वनवासी जीवन को भी, आलोकित करते आए हैं।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
हर कला हमीं से पोषित है,
हर पुरी,सदन निर्माण किया।
देवों को विविध अस्त्र देकर,
राक्षस कुल का संहार हुआ।।
हम जन्म जात अभियंता हैं, अरमान सजाते आए है।
हम विश्व देव की संतानें,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
- डॉ डी आर विश्वकर्मा
सुन्दरपुर वाराणसी
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