अठारह पग चिह्न'
कहानी संग्रह 'अठारह पग चिह्न' युवा साहित्यकार रश्मि 'लहर' की पहली कृति है। यद्यपि वह हिन्दी साहित्य की अधिकाधिक विधाओं में स्तरीय लेखन कर अपनी पुख्ता पहचान काफी समय पूर्व ही बना चुकी हैं; तो पुस्तक प्रकाशन के लिए यह उनका सराहनीय आत्मसंयम कहा जाएगा।
हिंदी प्रकाशनों में बोधि प्रकाशन, जयपुर का विशिष्ठ स्थान है, इसी प्रकाशन से यह संग्रह प्रकाशित हुआ है।
भूमिका में मायामृग लिखते हैं-
"इस पुस्तक की कहानियाॅं जितनी कहानीकार की हैं, उससे अधिक पाठक की हैं। पढ़ने वाले को बस अपनी कहानी चुन लेनी है। ये अपनी कहानियाॅं हैं, अपनेपन की कहानियाॅं हैं, अपनों से जुड़े रिश्तों की, रिश्तों के निर्वाह और टकराव की कहानियाॅं हैं।"
उपर्युक्त कहन को संग्रह की आत्मा कह सकते हैं। यह रिश्तों और उनके निर्वाह को जहां तहां देखा और महसूस किया जा सकता है। कहानियों की अतिरिक्त खूबसूरती यह भी है कि उनमें संदेश भी निहित हैं।
'लव यू नानी' कहानी के अंत में नानी द्वारा धेवती वेणी को दी गई पोटली वह खोलती है तो एक पत्र भी मिलता है जिसमें नानी लिखती हैं,
"प्रिय वेणी,
तुम मेरे परिवार की सबसे छोटी बच्ची हो। तुमसे मैं सदा बहुत स्नेह करती रही हूं। तुमसे बस कुछ बातें कहना चाहती हूं, बेटी। कभी गलत का साथ न देना,। सदा सच के रास्ते पर चलना और कभी किसी से मत डरना। अपने लिए सदैव नए रास्ते बनाना..
तुम्हारी नानी"
ऐसी ही 'बावरी' कहानी है जिसमें परिजनों से आहत बावरी टूटती नहीं, वरन एन जी ओ से जुड़कर आत्मनिर्भर होने के साथ दुर्बल वर्ग का सहारा भी बन जाती है।
संग्रह की कहानी 'प्रेम के रिश्ते' एक भावनात्मक और सुंदर सामाजिक कहानी है। पति के निधन के बाद परिवार के मुंह मोड़ने पर कविता को उसके मुस्लिम पड़ोसी आगे बढ़कर सहारा देते हैं। ऐसी कहानी सकारात्मक वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निर्वहन करती हैं।
'अतीत के दस्तावेज' कहानी संग्रह की श्रेष्ठ कहानियों में से एक है। इस कहानी के केंद्रीय पात्र 'कसूर साहब' एक साहित्यकार हैं
जिनके प्रवासी बेटे उन्हें मकान बेचकर वृद्धाश्रम में जाने को विवश कर देते हैं। यह देखकर उनकी पड़ोसी लड़की पूजा भावनात्मक लगाव के चलते परदे के पीछे रहकर मकान खरीद लेती है। दीवाली के दिन कसूर साहब के मित्रों के बीच पूजा उनसे कहती है, "यह घर आपका ही है कसूर साहब। अब इस घर में मैं और आप रहेंगे।" उन्होंने भाव-विह्वल होकर पूजा को गले से लगा लिया।
समग्र रुप से संग्रह की सभी कहानियों में एक अलग तरह की सहजता, सरलता और आत्मीयता है जो पाठक को अभिभूत करती है। भाषा शैली कथानक के अनुरुप है। संपादन कौशल भी देखते ही बनता है।
अतीत के दस्तावेज, अनमोल, दादाजी का चश्मा , असली उत्सव, तेरी बिंदिया आदि कहानियां संग्रह को न केवल चर्चित करेंगी, अपितु संग्रहणीय भी बनाएंगी।
हिन्दी कथा साहित्य में संग्रह का भरपूर स्वागत होगा, ऐसी आशा है।
अठारह पग चिह्न (कहानी संग्रह)
लेखिका :रश्मि लहर
प्रकाशक:
बोधि प्रकाशन, जयपुर
पृष्ठ 95
मूल्य 150 रूपये।
मनु स्वामी
वरिष्ठ साहित्यकार
मुजफ्फरनगर
मोबाइल नंबर-+91 99977 49350
Tags:
संपादकीय/ पुस्तक