आइए जानें ! धन धान्य की देवी माँ लक्ष्मी का निवास कहां? : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

आइए जानें ! धन धान्य की देवी माँ लक्ष्मी का निवास कहां?
      : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

कहते हैं कि,” यस्यास्ति वित्तः स नरः कुलीन:” और आज यह भी मान्यता है कि “सर्वे गुणा: कांचनमाश्रयन्ते” मां लक्ष्मी को श्री, समृद्धि,सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। जन श्रुति एवम सनत कुमार संहिता के अनुसार भगवती लक्ष्मी जिसे आदि शक्ति भी कहते है,कार्तिक अमावस्या के दिन पृथ्वी पर विचरण करने हेतु आती हैं और अपने लिए निवास स्थान खोजती हैं। इसी मान्यतानुसार लोग अपने घरों की साफ सफाई करते है ताकि मां लक्ष्मी उनके ही घरों में रहने हेतु पधारें।
वैसे मां लक्ष्मी उन घरों में निवास करती हैं, जहां स्वच्छता हो,सुख शांति का वातावरण हो, प्रकाश भगवती लक्ष्मी को आकर्षित करता है।जिस घर में सभी सदस्य प्रेम पूर्वक रहते हैं, वहां वो प्रवास करना चाहती हैं।जिन घरों में बड़े बुजुर्गों की सम्मान के साथ सेवा की जाती है, उन घरों में वे रहना चाहती है। कर्कश वाणी,कठोर वचन, प्रलाप इन्हें सर्वथा अप्रिय लगता है वे उन घरों में रहना पसंद नही करती।
वह घर उनका पसंदीदा होता है जहां के लोग सद्गुणी, कर्तव्य पालन में तत्पर, धर्म परायण हो। ऐसे लोग उनकी अनुकंपा के शीघ्र ही पात्र बन जाते हैं।
गृहस्थों के यहां वे गृह लक्ष्मी के रूप में रहती हैं। इसीलिए अवधी में एक कहावत कही गई है, बिन घरनी घर भूत का डेरा, आपकी पत्नी व लाडली बहू के सोलहवें अंश में लक्ष्मी जी का अंश विराजमान होता है।जिन गृहस्थों के यहां माता पिता पितर देव गण, गुरुओं और मेहमानों की प्रसन्नता नही रहती, झूठ बोलने वाले, झूठी गवाही देने वाले, झूठी कसमें खाने वाले होते हैं वे वहां नही रहती।
लक्ष्मी जी वहां भी नही रहती, जहां पति पत्नी में प्रेम न हो, परिवार हिंसा में रुचि रखता हो,परिवार के सदस्य ईश्वर में विश्वास नहीं रखते, जिस घर की स्त्रियां गुस्सा करती हो, घमंड करने वाली होती हैं। मां लक्ष्मी उन घरों को भी त्याग देती है, जहां लोग एक दूसरे पर बुरी नजर रखते हो,एक दूसरे से जलन रखते हो।शाम को सोते हो।स्वच्छता के साथ नही रहते।दूसरों की धन संपत्ति हड़पने वाले होते हैं एवम दूसरों के कामों में समस्या उत्पन्न करने वाले होते है।
शास्त्रों में लक्ष्मी जी के निवास के संदर्भ में अनेक चर्चाएं की गई हैं।ऋषि व्यास ने लक्ष्मी जी के रूपक से कुछ महत्वपूर्ण बातें कहलाई हैं, मां लक्ष्मी कहती हैं कि जो देवियां शांत और सुंदर स्वभाव की होती है,बड़े विद्वानों का आदर करने वाली होती हैं,जिनके घरों के बर्तन भांडे साफ सुथरे,घर स्वच्छ व निर्मल होता है, गाय,पशुओं की देखभाल करने वाली होती हैं,वहां मैं निवास करती हैं।वही जो स्त्री साफ सफाई से नही रखती,अपने घर मे स्वच्छता नही रखती,बिना विचारे काम करती हैं,जो सदा अपने पति के प्रतिकूल चलती हैं,जो दूसरों के घर अधिक रहती हैं,जो निर्लज्ज होती हैं, मां लक्ष्मी उनके घरों में नही रहती।जो स्त्री अधिक चंचल, फूहड़,घमंडी होती हैं, उस घर में भी वे रहना पसंद नही करती।जो सदैव अपवित्र रहती हैं,झगड़ालू प्रवृत्त की होती हैं,जो अत्यधिक सोती हैं, ऐसे स्त्री का भी साथ वे छोड़ देती हैं।
मां लक्ष्मी वैसी स्त्री के घर रहना पसंद करती हैं जो सत्य मार्ग पर चलती हों,जो स्वच्छता पवित्रता के साथ रहती हों सुशील होती हैं,पति व्रता होती हैं। मां लक्ष्मी उन घरों को भी पसंद करती हैं जिन घरों का वातावरण प्रेम मय,भक्तिमय होता है।
कलह क्लेश से वंचित परिवारों में भी वे रहना पसंद करती हैं और ऐसे गृह के विकास में भी वे सहायक होती हैं।
वैसे जिस प्रकार से सूर्य से तेजस्विता को,चंद्रमा से शीतलता को,अग्नि से दाहकता को,दूध से धवलता को अलग नहीं किया जा सकता वैसे ही श्री को हरि से नहीं जुदा किया जा सकता,इसका मतलब की,जहां हरि की आराधना,साधना होती रहती है,वहां लक्ष्मी जी भी निवासरत रहती है।लक्ष्मी जी को स्वच्छता अत्यधिक पसंद होता है,क्योंकि स्वच्छता देवत्व के निकट माना जाता है।कहते भी हैं कि,जिसका स्वच्छ रहे घर बार,खुशियों का रहता अंबार।माँ लक्ष्मी का घरों में वास उत्तर और पश्चिम में माना जाता हैं।जैसा कि वास्तु शास्त्री उल्लेख करते है।इसी कारण कुछ लोग घर के उत्तर में लाल कपड़े में चाँदी का सिक्का बाँध कर रखते हैं।हमे घर का उत्तर व पश्चिम दिशा को साफ़ व स्वच्छ रखना चाहिए।कुछ मनीषी कमल में माँ लक्ष्मी का वास मानते हैं।इसी कारण लक्ष्मी पूजा के समय कमल का पुष्प अर्पित करने का विधान होता है।माँ लक्ष्मी का नाम कमल नाम से भी सम्बन्धित है जैसे पद्म प्रिया,पद्मिनी।
“कमले कमला कमलासना” इसी लिये कहा गया है।माँ भगवती लक्ष्मी को विल्व पत्र भी पसन्द है।यही कारण है कि लोग विल्व पत्र पर सिंधूर से मायावी वर्ग बनाकर मकान में रखते हैं मान्यता है कि उन लोगों के पास सुन्दर व अटूट भण्डार बना रहता है।
बिल्ब पत्र पर बीसा यन्त्र भी घी सिंदूर से बनाते हैं।यह साल भार अपना असर दिखाता है।उस घर में लक्ष्मी जी वास होता है।एक जन मानस में कहावत भी प्रचलित है,”जिसके पास हो बीसा,उसका क्या करे जगदीशा।”गज के दर्शन से भी माँ का आगमन लोग मानते हैं।गाय की पीठ पर भी माँ लक्ष्मी का वास भी माना जाता है यही कारण है कि लोग हल्दी व सिन्दूर से गाय की पूजा करते हैं और पाँचवा सुबह सुबह अपने हाथ की हथेली का दर्शन करने से भी भगवती लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है।
मां लक्ष्मी परिश्रम व सात्विक साधनों से कमाए हुए धन में सदैव विद्यमान रहती है,अतः हम सभी को पाप की कमाई से विरत रहना चाहिए,यदि हम लक्ष्मी जी के कृपा पात्र होना चाहते हो।

लेखक :पूर्व जिला विकास अधिकारी,मोटिवेशनल स्पीकर,कई राज्य स्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित,वाराणसी के वरिष्ठ साहित्यकार हैं।

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