समझना बच्चों के प्रेम को भीछठ
चिड़चिड़े स्वभाव के आजकल सभी बच्चे नजर आते हैं,
जब होते हैं व्यस्त हम अपने जीवन में,
बच्चों को भी समझ नहीं पाते हैं,
सही समय नहीं दे पाते हैं,
हैं जरूरत बच्चे अपने को,
एक प्रेम और कुछ समय बिताए उसके साथ भी,
जो करती हैं उसको अंदर से मजबूत,
करता हैं बच्चा जब कभी शरारत जीवन अपने में,
उसको डांटने के साथ साथ कुछ मां बाप,
उस पर कुछ अपना हाथ भी उठाते हैं,
शब्द की ध्वनि होती हैं इतनी तेज,
उसके प्रभाव से होती हैं जब चोट बच्चे के मन के अंदर,
हो जाते है अधिकांश बच्चे उसी के ही अधीन,
शब्द जाल बन जाता हैं गहरा उनके अंदर,
जिससे फिर वो दुबारा निकल नहीं पाते हैं,
राह भी हो जाती हैं धुंधली उनकी,
जो मां बाप अपने बच्चे के प्रेम को समझ नहीं पाते हैं।
- डॉ मयंक राजपाल
श्री गंगा नगर, राजस्थान
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