श्रीराम

            
           
           श्रीराम - 
सूर्यवंश शिरोमणि  श्रीरामचंद्र, 
युगल चरण कमलों में वंदन। 
सीतापति , मोक्षप्रदाता प्रभुवर, 
हे कौशल्या-दशरथ नंदन। 

भ्राता लक्ष्मण , भरत , शत्रुघ्न, 
परम भक्त तेरे  हनुमान । 
लंकाधिपति, रावण संहारक, 
नमामि  पुरुषोत्तम श्रीराम। 

मानकर आदेश गुरु विश्वामित्र का, 
मुनि यज्ञ की रक्षा की। 
खर, दूषण से राक्षसों को मारा , 
निज भक्तों की सुरक्षा की। 

आदर्श पुत्र,भ्राता,पति, मित्र, नृपति बने, 
रामराज्य किया स्थापित। 
सुग्रीव, विभीषण को गले लगाया, 
जो निज परिवार से थे निष्काशित। 

कवि चंद्रकांत पांडेय, स्वरचित, मौलिक
मुंबई / महाराष्ट्र 

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