डेडबॉडी की कहानी...

डेडबॉडी की कहानी... 
एक अजीब से घबराहट थी, 
कुछ अंजानी, 
तो कुछ अनकही थी, 
सुबह उठा तो देखा, 
सबकी आंखें नम थी... 

पास आकर देखा तो, 
मैं जमीर पर, 
सफेद चादर ओढ़े  पड़ा था,
मगर कैसे जबकी मैं तो, 
सबके सामने खड़ा था... 

मैं चीखा और चिल्लाया, 
मगर किसी को मानो, 
एक अल्फ़ाज़ भी नहीं कानो तक पहुंचा, 
मैंने तो सबको हाथ तक जो लगाया,
 लेकिन चाहकर भी में, 
उन्हें छू भी नहीं पाया... 

देखा मुझे देख, 
सब अश्क बहा रहे हैं, 
कई झूठे तो कई सच्चे, 
मेरे शरीर को देख, 
अंदर से ख़ुशी से, 
मानो झूम रहे हैं...

देखो मुझे लेने को, 
गाड़ी बुलायी है, 
जाते हुए भी देखो, 
मेरी मां ने उस खुदा से,
मुझे लौटने की, 
एक और गुहार लगाई है... 

चार कंधे ले जा रहे हैं, 
मेरी अर्थी पर,
सनम मुझे सजाने, 
मैं खड़ा बेबस , 
कुछ कह भी नहीं सका... 

लो जला दिया ये शरीर मेरा, 
और देख अब तो मैं, 
इस दुनिया का नहीं  रहा, 
ना घर ना परिवार हैं, 
अब जो बस एक मिलन, 
वो कृमो का दरबार हैं.. 
           (सोर्स- इन्टरनेट मीडिया)
 
- लक्ष्य कंसल ✍

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