उम्र हुई कैसे थोड़ी (कविता)

 उम्र हुई कैसे थोड़ी (कविता)
       उम्र हुई कैसे थोड़ी

छोटी छोटी उम्र में भी,
नहीं पता चलता आज कल,
कब कौन पूरा हो जाता हैं,
पता लगता हैं असलियत का तो, 
डॉक्टर की रिपोर्ट में भी कुछ नहीं आता हैं,
अचानक से  क्या हुआ,
जो हादसा इतना बड़ा जो गया,
बैठा था जो साथ सबके,
अचानक से सबके बीच से रुकसत हो गया,
कुछ रोल आजकल एक तनाव का भी हो गया है,
बच्चा हो या बूढ़ा हर कोई चिंता से ग्रसित हो गया है,
बच्चों को है अपनी चिंता,
हुई नहीं काम पूरा,
स्कूल में ना जाने क्या होगा,
अगर रह गया इस साल भी,
तो घर पर भी मुझे ही ,
मार अपने पापा की को झेलना होगा,
इस तरह से डरा सा रहता हैं जब एक बच्चा,
तनाव उसको कब घेर लेता है,
ये उसको भी पता नहीं चलता,
अचानक से हो जाता हैं,
इस दुनिया से ला पता,
आंखों में आंसू जो छोड़ जाता हैं,
इस तरह से बड़े बुढ़े भी हैं आज कल मानसिक रोग के शिकार,
हद से ज्यादा चिंता,
बीपी को देती हैं जब शरीर में बढ़ावा,
तो शरीर भी साथ छोड़ने लग जाता हैं,
होते हैं फिर शरीर में अनेक रोग,
जिससे शरीर बुढ़ापे में ना जाने कब पूरा हो जाता हैं।

डॉक्टर मयंक राजपाल

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