जीवन यात्रा
जीवन की तैयारी यात्रा मृत्यु तक करना।
जीवन है जीने को बस हार ना मानना।।
लाख बाधाएं मुश्किलें तेरा राह ना रोके।
जीवन है संघर्ष बिताओ ना तुम यूं ही सोके।।
कर्म ही है जिंदगी सौ वर्ष ना कभी सोचो।
कर दिखाओ कर्म ऐसा भाग्य को ना कोसो।।
बदलाव ही प्रकृति का शाश्वत नियम बना है।
चलते रहें ना रुकें सोचें निश्चित मृत्यु बला है।।
कर रही इंतजार मृत्यु तुम जो करते।।
खाक में मिल जाए दर्प, तन, जब कुछ तुम ना करते।।
ईश अंश परमात्म शक्ति एक तुम ही तो हो।
अभिज्ञान हो यदि तुम्हें तो हनुमान से तुम कम नहीं हो।।
अस्तु!! -आचार्य डॉक्टर गौरीशंकर शंकर उपाध्याय 15-12-2024 नोएडा ,गिरिडीह, झारखंड 9939506069
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संपादकीय/ कविता