रोजगार दिलाने की एक योजना, प्रधान मंत्री कौशल विकास मिशन : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

रोजगार दिलाने की एक योजना, प्रधान मंत्री कौशल विकास मिशन 
                                                  

भारत की गणना विश्व में एक सबसे युवा देश में की जाती है।यहाँ 
५४%  जनसंख्या २५ वर्ष से कम आयु के लोगों की है।इसीलिए अर्थशास्त्री इसे Demografic Devident के नाम से पुकारते हैं ।भारत में ६२%जनसंख्या(१५-५९ वर्ष)के काम काजी आयु वर्ग के लोग निवास करते हैं।युवाओं में कौशल विकास करके उन्हें प्रशिक्षण प्रदान कर भविष्य में रोजगार के अवसर उपलब्ध कराने के उद्देश्य से वर्ष २०१५ से कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय(भारत सरकार)द्वारा इस योजना की शुरुआत की गई।कौशल विकास मिशन की शुरुआत वर्ष २००९ में राष्ट्रीय कौशल नीति के तहत की गयी।घोषित नीति के तहत २०२२ तक देश के ४०.२ करोड़ युवाओं/युवतिओं को हुनरमंद बनाने की यह महत्वाकांक्षी योजना है,जो मानव शक्ति की माँग और आपूर्ति के अन्तर को समाप्त करती है।
प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना में १२-८० घंटे,१५०-६०० घंटे का प्रशिक्षण देने के अलावा युवाओं व महिलाओं को ०३ माह,०६ माह,व ०१ वर्ष तक का प्रशिक्षण,हॉस्पिटलिटी एण्ड टूरिज्म,टेक्सटाइल कोर्स,टेलीकॉम कोर्स,सिक्योरिटी सर्विसेज,रबर कोर्स,रिटेल,पॉवर इंडस्ट्रीज,प्लंबिंग,माइनिंग,इंटरनेट व मीडिया,लॉजिस्टिक,लाइफ साइंस,आई टी,आयरन एंड स्टील,मैनेजरियल कोर्स,हेल्थ केयर,ग्रीन जॉब कोर्स,जेम्स एण्ड ज्वैलरी,फर्नीचर एण्ड फिटिंग कोर्स,फ़ूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री कोर्स,इलेक्ट्रॉनिक कोर्स,कंस्ट्रक्शन कोर्स,माल तथा पूंजी पाठ्यक्रम,बीमा बैंकिंग फाइनेंस कोर्स,ब्यूटी केयर वेलनेस कोर्स मोटर वाहन कोर्स,परिधान पाठ्यक्रम एवम् कृषि व्यवसाय पाठ्यक्रम में प्रशिक्षण देकर उन्हें रोजगार के योग्य बनाया जाता है और उन्हें रोजगार दिलाने का प्रयास सरकार द्वारा किया जाता है।इस योजना के लिए अभ्यर्थियों की आयु १५ वर्ष से ४५ वर्ष रखी गयी है।
इस योजना में तीन प्रकार के प्रशिक्षण जनपदों में अवस्थित कौशल विकास केंद्रों व शासकीय आई टी आई व प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं के माध्यम से दिया जाता है।
शॉर्ट टर्म प्रशिक्षण-इस प्रशिक्षण में १५०-३०० घंटों का प्रशिक्षण दिया जाता है।
आर पी एल(रिकॉग्निशन ऑफ़ प्रायर लर्निंग)कार्यक्रम जिसमें पहले से किसी हुनर को बढ़ाने के लिए १२-८० घंटे का प्रशिक्षण देकर युवा और युवतियों को विशेष ट्रेनिंग प्रदान कर उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाता है और बैंक से लोन भी दिया जाता है जिससे युवा/युवतियाँ अपने रोजगार को शुरू कर अपना जीविकोपार्जन अच्छे से कर सकें।
स्पेशल प्रोजेक्ट ट्रेनिंग प्रशिक्षण,इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में अल्प कालिक प्रशिक्षण,सरकारी संस्थाओं कॉर्पोरेट एवं उद्योग निकायों के विशेष क्षेत्रों व परिसरों में प्रशिक्षण दिया जाता है।
इसके अलावा युवाओं को कौशल एवम् रोजगार मेला लगाकर,प्लेसमेंट असिस्टेंस देकर,कैंडिडेट मॉनिटरिंग कर स्टैण्डर्ड राइम्स ब्रांडिंग एण्ड कम्युनिकेशन की सुविधा प्रदान कर उन्हें बेहतर रोजगार उपलब्ध कराने का प्रयास सरकारी संस्थाएँ कर रही हैं।इसके लिए २०० औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों को भी जोड़ा गया है ।इसके अलावा ०८ स्थानीय उद्योगों ने भी इस योजना के तहत रोजगार देने में दिलचस्पी दिखाई है,जिसमे विन्सम ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड,शार्प इंजीनियरिंग प्राइवेट,उषा यार्न लिमिटेड,वाटिका स्पिनिंग मिल,सांबी इण्डस्ट्रीज,आर बी फोर्जिंग,सी ए जी इंजीनियरिंग लिमिटेड व सरोवर एंटरप्राइज़ेज़ हैं।
करोना काल में भारत सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से फ्रंट लाइन वर्कर्स के लिए कॉस्टमाइज़ क्रेस कोर्स शुरू किया है,जिसमें स्वास्थ्य के क्षेत्र में इमरजेंसी मेडिकल टेक्निशियन,जनरल ड्यूटी असिस्टेंट,जनरल ड्यूटी असिस्टेंट,जनरल ड्यूटी असिस्टेंट एडवांस( सीसी),होम हेल्थ ऐडे,मेडिकल इक्विपमेंट टेक्निकल असिस्टेंट के अलावा फ़्लेबटोमिस्ट हेतु भी विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है,जिससे युवाओं/युवतियों को स्वास्थ्य विभाग में रोजगार प्राप्त हो रहा है ।
इस योजना का क्रियान्वयन केंद्र में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम,द्वारा जिसके सचिव होते है,वे इस योजना को देखते है ।राज्यों में राज्य कौशल विकास मिशन के मिशन डायरेक्टर और जिलों में जिला कौशल समिति जिसके अध्यक्ष जिलाधिकारी होते हैं,इस योजना के क्रियान्वयन हेतु उत्तरदायी होते है।
कौशल विकास मिशन में प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे युवाओं/युवतिओं को वन टाइम इंसेंटिव,बोर्डिंग एण्ड लॉजिंग,कॉन्वेयन्स कॉस्ट,पोस्ट प्लेसमेंट स्टाइपेंड,शारीरिक रूप से अक्षम युवाओं/युवतियों को अतिरिक्त सहायता,२ लाख का बीमा सर्टिफिकेट प्राप्त होने के तीन वर्ष तक अनुमन्य,इंडक्शन किट एंड पार्टिसिपेंट हैंड बुक,वार्षिक इंसेंटिव टू ट्रेनिंग प्रोवाइडर,वन टाइम प्लेसमेंट ट्रैवल कॉस्ट,करियर प्रोग्रेसिव सपोर्ट,स्पेशल इंसेंटिव फॉर फॉरेन प्लेसमेंट,पोस्ट प्लेसमेंट ट्रेनिंग अलाउंस भी दिया जाता है ।
योजना में जो उपलब्धियां वर्ष १७ तक प्राप्त हुयी है वह १.१७ करोड़ अभ्यर्थियों को लघु एवं मध्यम उद्योगों द्वारा विभिन्न ट्रेड्स में प्रशिक्षित किया जा चुका है।भारत सरकार ने गुणवत्ता पूर्ण प्रशिक्षण हेतु २५५ केन्द्र खोले जा चुके हैं।जॉब में वैश्विक गतिशीलता को प्रभावित करने हेतु india international skill centres(IISCs) खोले जा चुके हैं।४४%सीटे आई टीआई में बढ़ायी जा चुकी हैं।१२००० करोड़ की धनराशि अतिरिक्त आवंटित की गई है ।
जिन कौशल की माँग युवाओं/युवतिओं को अधिक रोजगार दिलाने में आज सबसे ज़्यादा सहायक हो रही है वह,कोडिंग,क्लाउड कंप्यूटिंग, ब्लॉक चेन, यूजर एक्सपीरियंस डिज़ाइन, आर्टिफीसियल इंटेलिजेंस, इमोशनल इंटेलिजेंस,रोबोटिक्स,ई कॉमर्स, डेटा एनालिस्ट, इलेक्ट्रॉनिक एंड हार्डवेयर, हेल्थ केयर, अपैरल, रियल एस्टेट, रिटेल, टेलीकॉम एंड लॉजिस्टिक है।अतः भारत सरकार और राज्य सरकारों को इसमें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को प्रशिक्षित किया जाना चाहिये ताकि लोगो को नौकरियाँ मिल सकें।

लेखक-  डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
 पूर्व जिला विकास अधिकारी, वाराणसी 

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