महामना घाट बनकर निकल रहा है संतति सम्मान सभागार (सत्या होप टॉक): डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र

महामना घाट बनकर निकल रहा है संतति सम्मान सभागार (सत्या होप टॉक): डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र 

सदा यादगार रहेगा 2 दिसम्बर की काव्य संध्या का कार्यक्रम।

वाराणसी : 
काशी मीट बनारसिया के "महामना जन्मोत्सव" 2024 कार्यक्रम के क्रम में वरिष्ठ गीतकार डॉक्टर बुद्धिनाथ मिश्र जी का, महामना मानस संतति के रूप में काशी में सम्मान किया गया। डॉ. सत्या होप टॉक मंच के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों का एक स्तरीय कार्यक्रम जो पिछले 7 वर्षों से सतत संचालित है, के तत्वाधान में काशी मीट बनारसिया का द्वितीय सत्र दिनांक 2 दिसंबर को "विशिष्ट काव्य समागम" के साथ साथ कई रचनाकारों की पुस्तकों के विमोचन का भी हेतु बना। 
डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के गगनचुम्बी व्यक्तित्व के समक्ष आज देश में कौन हिन्दी पट्टी का साहित्यकार होगा जो उनके गले में दो पुष्पमाला न डालना चाहेगा, परन्तु इसका बहुत ही अच्छा सुयोग पहली बार काशी की धरती पर डॉ. सत्य प्रकाश, वैज्ञानिक के आग्रह पर काशी के एवं राष्ट्रीय स्तर के विद्वानों ने किया। कार्यक्रम में उपस्थित गणमान्य लोगों में हीरालाल मिश्र "मधुकर" जी ने बुद्धिनाथ जी के उदार व्यक्तित्व के बारे में भूरि भूरि प्रसंशा की। कार्यक्रम में कवि डॉ. ओम प्रकाश मिश्र व्यथित जी का रीवा से आकर बुद्धिनाथ जी का सम्मान करना, डॉ. साहब के मन को छू गया। छत्तीसगढ़ की धरती से यज्ञसेनी साहू, बिजनौर की धरती से सम्मान कार्यक्रम को अविस्मरणीय बनाने के लिए नीरज कांत सोती जी और भक्तकवि अभिषेक द्विवेदी जी रीवा से आये जो एक बड़ी बात लगी। काशी के विद्वानों ने इस कार्यक्रम के माध्यम से अपने हृदय के उदगार मिश्र जी के सामने प्रकट किए जो एक अविस्मरणीय सन्देश "जीवन को रचने वाले व्यक्तित्व" के रुप में दिखाई पड़ा। आज के समय में जब नवोदित रचनाकार स्वयं में ही प्रवित्त हैं, तब पिछली पीढ़ी से लेकर अगली पीढ़ी को साहित्य के सेतु से जोड़ने की सामर्थ्य रखने वाले बुद्धिनाथ मिश्र जी का स्पर्श ही अपने आप में महत्वपूर्ण है।
डॉ. सत्य प्रकाश जी के इस प्रयास के विषय में वरिष्ठ साहित्यकार एवं पूर्व न्यायाधीश आदरणीय चन्द्रभाल सुकुमार जी, आदरणीय मधुकर जी एवं आ. महेंद्र अलंकार जी ने पूरे हृदय से प्रसंशा की। महामना के चिंतन "प्रतिची से प्राची" और "व्यष्टि से समष्टि" को आज के परिदृश्य में गुरुडम की भावना को तोड़ते हुए जिस प्रकार से डॉ. सत्य प्रकाश जी सबको लेकर चलने का विश्वास कायम किया है, वह प्रासंगिक है। भारतवर्ष के कोने कोने से जुड़े विश्व समुदाय के मीट फाइव के साथी भी डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के सम्मान कार्यक्रम को अपने हृदय से जोड़ कर देख रहे थे। काशी मीट बनारसिया का सम्मान पत्र 71 लोगों को वितरण हुआ है, जिसमें 56 व्यक्तित्व वाराणसी के बाहर से प्रतिनिधित्व प्राप्त किए हैं । कार्यक्रम के दौरान अनुज्ञा कार्यक्रम की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष कात्यायनी पाण्डेय जी ने मंजु सूद जी नोयडा निवासी की पुस्तकों साहिबा एवं माही की समीक्षा रखी, जबकि अलंकरण समिति की पदाधिकारी रंजना पाण्डेय जी ने डॉ .पूनम ग्रोवर जी की पुस्तक ख़्वाबों के गुलाब" की समीक्षा रखी। छत्तीसगढ़ की धरती से आयीं यज्ञसेनी साहू जी ने अपनी पुस्तक "यज्ञकाव्य अमृत" के विषय में नीरज कांत सोती जी के आग्रह पर प्रकाश डाला एवं अनेकों रचनाओं का प्रस्तुतिकरण किया। डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के सम्मान में नवोदित से लेकर वरिष्ठ साथियों ने खूब मनुहार गीत एवं गज़ल प्रस्तुति किये। नई दिल्ली से साहित्य अकादमी से सम्मान प्राप्त कवयित्री संस्कृति मिश्र जी ने भी सुन्दर गौराया गीत सुनाया। मंच पर रंजना पाण्डेय जी ने कजरी, यज्ञसेनी जी ने ओज, गिरीश पाण्डेय जी हास्य, परम हंस तिवारी जी ने गज़ल, डॉ. सत्य प्रकाश ने प्रेरणा गीत, भक्त कवि अभिषेक जी ने राम नाम पर गीत,श्रीधर कृष्नार्थ जी ने भोजपुरी साहित्य, भाव के रुप में अपने पिता के प्रति विजयश्री जी ने एवं डॉ. सत्य प्रकाश जी ने आभार गीत प्रस्तुति किया। सभा में उपस्थित जिला न्यायाधीश अनुभव द्विवेदी जी ने अपने उदगार आदरणीय मिश्र जी के प्रति तथा महामना के नाम पर इस सभागार के कार्य पर प्रकट किए, जिसे सभी ने आभार सहित स्वीकार किया। मंच के समादरणीय व्यक्तित्वों ने डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के सम्मान को ऊँचा करने वाले अनेकों श्रेष्ठ साहित्य को न केवल सुनाया बल्कि "एक बार जाल और फेक रे मछेरे" से शुरुआत करके मिश्र जी दसों सम सामायिक गीतों के रस में गोता लगाया। समय की सीमा काव्य आनंद के हर्षोल्लास में कहीं पीछे छूट गई, जब डॉ. सत्या होप टॉक के महामना सभागार को "महामना घाट" की संज्ञा देकर, मिश्र जी ने डॉ. सत्य प्रकाश जी के इस प्रयास को अभूतपूर्व माना। उनका मानना है कि वाराणसी में नवोदितों एवं वरिष्ठों को एक स्थान पर मिलने और कार्यक्रम करने में यह "M2S3" एक घाट की तरह कार्य करेगा और आने वाले समय में, अनेकों लोगों की नैया "इस घाट" से स्वयं के लिए पतवार को प्राप्त करेगी। जो ठहराव डॉ. सत्य प्रकाश जी में साहित्य समाज और महामना के प्रति दिखता है, शायद मिश्र जी के शब्दों में महामना घाट की संज्ञा सही ही प्रतीत होती है। काशी के प्रतिष्ठा प्राप्त लोगों ने फोन से तथा सीधी उपस्थिती देकर इस सम्मान कार्य की प्रशंसा की तथा भविष्य में भी बुद्धिनाथ मिश्र जी के सानिध्य में नवोदितों को आगे बढ़ाने के लिए अच्छे कार्यक्रम की योजना पर काम करने की बात रखी। डॉ. सत्या होप टॉक को एक जिम्मेदार संस्था मानते हुए आगे एक पुस्तक का क्रम भी बनाने का आग्रह किया गया जिसमें गीत ऋषि डॉ. बुद्धिनाथ मिश्र जी के सम्मान में नवोदित रचनाकार भी स्थान पा सकेंगे। "आओ अपने राम पुकारें" मंच की एक अभिव्यक्ति का भी विमोचन इस सम्मान सभागार में किया गया और डॉ. दक्षा निमावत जो गुजरात की धरती से इस पुस्तक संपादन में अपने सहयोगी भाव दिया है उसकी प्रसंशा की गई।

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