कलारिपयट्टू युद्ध कौशल नहीं वरन् समृद्ध कालजयी भारतीय संस्कृति का शाश्वत प्रतीक है - डॉ. भरत शर्मा


कलारिपयट्टू युद्ध कौशल नहीं वरन् समृद्ध कालजयी भारतीय संस्कृति का शाश्वत प्रतीक है - डॉ. भरत शर्मा 

केरल में गोपालन गुरुकुल स्मारक सी. वी. एन.”, कलारिवंदनम् को किया गया वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन में शामिल

उक्त विचार केरल के कोझीकोड शहर में नालंदा सभागृह में कालरीपट्टू युद्धकौशल का प्रदर्शन कालरी इष्ट के प्रति पारंपरिक अभिवादन कलारी वंदनम के आयोजक संस्था “गोपालन गुरुकुल स्मारक सी. वी. एन.”, केरल को वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड्स, लंदन  में शामिल होने पर हार्दिक बधाई देते हुए संस्कृति मंत्रालय, भारत सरकार सदस्य - डॉ. भरत शर्मा ने रखे।

 संस्था द्वारा ६१० प्रतिभागियों जिनकी आयु लगभग ४ साल से लगभग ७५ की आयु पूर्ण वाले प्रतिभागिता कि एक मंच पर कलारियापट्टू के कौशल प्रदर्शन कर यह विश्व कीर्तिमान बनाया गया। आपने कहा कि यह सम्मान सिर्फ केरल का नहीं वरन् भारतीय संस्कृति की समृद्धि का विश्व सम्मान है। आपने सभी प्रतिभागी और विशेष तौर पर उनके गुरु डॉ. वी.एम. विजयन को इस आयोजन पर शुभकामना देते हुए कहा की भारतीय ३००० वर्ष से ज़्यादा पुरानी इस युद्ध कौशल संस्कृति को सहेजने का काम आपके कंधों पर है।
वर्ल्ड बुक ऑफ़ रिकॉर्ड के अध्यक्ष सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष शुक्ला ने प्रमाण पत्र का वचन किया और संस्था के प्रतिभागियों को बधाई देते हुए कहा की ऐसे आयोजन में भाग लेने पर भारतीय संस्कृति के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के प्रति   एक निश्चितता का भाव स्वमेव ही ही जाता है ।
कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत पारंपरिक कलारी वेशभूषा में गार्ड ऑफ़ ऑनर देकर व शाल और स्मृतिचिह्न देकर किया गया। 
कार्यक्रम में कोझिकोड की महापौर बीना फिलिप और स्पोर्ट्स इंडिया के अध्यक्ष रनीश परम्भरा सैकड़ो की तादाद में प्रतिभागियों में परिवारजन और कोझीकोड के सम्मानित नागरिक भी मौजूद रहे ।

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