क्या मुझे अपना बना पाओगे?

क्या मुझे अपना बना पाओगे? 

                (कविता)
चलो नए साल में ले चलती हूँ तुम्हें अपनी सपनों की दुनियां में,
क्या तुम मेरे सपनों को अपना बना पाओगे?
मेरे ख्याबों से बनी सड़क पर चल पाओगे,
है दिल मेरा बेचैन हिम्मत दिला पाओगे,
छोड़ आई मैं अपनी दुनियां, 
क्या मेरी दुनियां बन पाओगे? 
क्या मुझे अपना बना पाओगे? 
सजाई है मेरी मांग,
क्या मेरे ख्याबों की दुनियां भी सजा पाओगे?  
मेरी नजरों में छुपा है प्यार 
समझ पाओगे? 
हर कदम पर आपका 
साथ चाहिए दे पाओगे।

- प्रतिभा जैन 
उज्जैन, मध्यप्रदेश

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