महात्मा गांधी की हत्या के दिन शोक में डूब गया था सोनभद्र

महात्मा गांधी की हत्या के दिन शोक में डूब गया था सोनभद्र

-दस दिन तक मनाया गया था सूतक।

-रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील में जगह-जगह पर हुआ था श्रद्धांजलि सभा।

-गाधी जी की आत्मा शांति के लिए ब्राह्मणों ने किया था वेद पाठ।

-बलराम दास केसरवानी द्वारा किया गया था तेरहवीं के दिन भोज का आयोजन।

   रॉबर्ट्सगंज ‌(सोनभद्र) : 
30 जनवरी 1948 को गांधी जी की हत्या के बाद वर्तमान सोनभद्र (अविभाजित मिर्जापुर) रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, देशभक्त, क्रांतिकारियों एवं आम जनता में शोक की लहर फैल गई थी। इस घटना की पुष्टि रेडियो द्वारा हुई थी।
    स्वतंत्रता संग्राम सेनानी परिवार से जुड़े इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी के अनुसार-"महात्मा गांधी की हत्या के समय वर्तमान सोनभद्र मिर्जापुर जनपद का भूभाग था और इस क्षेत्र में संचार व्यवस्था का माध्यम एकमात्र रेडियो ही था जिसके माध्यम से देश- विदेश का समाचार क्षेत्र के लोगों को प्राप्त होता था, उस समय रॉबर्ट्सगंज नगर के निवासी, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं टाउन एरिया के द्वितीय अध्यक्ष बलराम दास केसरवानी के दुकान पर रेडियो लगा हुआ था और घटना के दिन गांधी जी की हत्या का समाचार लोगों ने सुना था,इनकी दुकान पर लोगों की भीड़ लग गई थी और तमाम तरह की चर्चाएं शुरू हो गई थी। यह खबर
जंगल में आग की तरह फैल गई थी,रॉबर्ट्सगंज, दुद्धी तहसील में जगह- जगह पर शोक सभा का आयोजन किया गया था।
   रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील  के निवासियों ने सूतक मनाया था और दसवे दिन रॉबर्ट्सगंज नगर के स्थानीय राम सरोवर तालाब पर गांधीजी के अनुयाई मुंडन एवं स्नान कर शुद्ध हुए थे, और गांधीजी की आत्मा की शांति के लिए ब्राह्मणों ने वेद पाठ भी किया था।
गांधी जी के तेरहवीं के दिन बलराम दास केसरवानी द्वारा सामूहिक भोज का भी आयोजन किया गया था।
   महात्मा गांधी के आह्वान पर कफन बांध कर अंग्रेजों से मोर्चा लेने के लिए निकल पड़ते थे क्रांतिकारी, देशभक्त। सोनभद्र जनपद के रॉबर्ट्सगंज एवं दुद्धी तहसील की तमाम प्रकार की समस्याओं, ब्रिटिश अत्याचारों की सूचना यहां के नेता जनपद मुख्यालय के नेताओं को देते थे और यह लोग महात्मा गांधी तक सूचनाओं को पहुंचाने का कार्य करते थे।गांधीजी इस क्षेत्र की मूलभूत समस्याओं से भी परिचित थे।
   वर्ष 1921 में चलाए गए  मीरजापुर के जिला काग्रेस कार्यालय में तलाशी के दौरान  पुलिस के हाथ स्वयंसेवकों का रजिस्टर लगा। इस रजिस्टर में राष्ट्रपिता ने खुद अपने हाथों से आजादी के दीवानों के नाम संदेश लिखा था।उन्होंने मीरजापुर के स्वयंसेवकों का उत्साहवर्धन करते हुए कहा था कि-" यह धरती काफी उर्जावान है। वाराणसी से सटे होने की वजह से इस जिले की भूमिका आजादी की लड़ाई में काफी महत्वपूर्ण हो सकती है। वाराणसी से इलाहाबाद जाते समय राष्ट्रपिता ने मीरजापुर के पुरानी अंजही मुहल्ले में बैठक भी की थी। 
   सन 1929 में महात्मा गांधी मिर्जापुर जनपद के तहसील चुनार, मिर्जापुर मुख्यालय पर आए थे और उन्होंने नगर के लाल डिग्गी मैदान (गांधी पार्क) ओजस्वी भाषण दिया था, उन्होंने जनपद वासियों से सत्य अहिंसा का पालन करते हुए अंग्रेजों से लड़ाई लड़ने का आह्वान आम जनता से किया था।
     राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, संगठन विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट सदस्यो एवं पदाधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

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