बिना जाँच कराये, हम कैसे समझें कि हम स्वस्थ्य हैं ? डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

बिना जाँच कराये, हम कैसे समझें कि हम स्वस्थ्य हैं ? 
डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा 
    
कहते हैं कि पहला सुख, 'निरोगी काया” है। स्वस्थ्य शरीर में ही स्वस्थ्य मस्तिष्क का निवास होता है।कालिदास जी ने कुमार संभव में लिखा है कि ”शरीर माद्यम खलु धर्म साधनम” यानि यह शरीर ही समस्त भौतिक आध्यात्मिक क्रियाओं का साधन है, अतः इसे हम सभी को ऊर्जावान बनाकर रखना अत्यन्त आवश्यक है।
सर्वप्रथम,आइये!देखें कि स्वास्थ्य होता क्या है,विश्व स्वास्थ्य संगठन ने स्वास्थ्य को परिभाषित करते हुए लिखा है कि ”स्वास्थ्य पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिति है, न कि केवल बीमारी या दुर्बलता की अनुपस्थिति” मित्रों! सचमुच स्वस्थ्य वही है जो शारीरिक रूप से, मानसिक रूप से व सामाजिक रूप से स्वस्थ हो।
हम सभी अपने शरीर में होने वाले बदलाव को देखकर और अनुदिन शारीरिक मानसिक स्थिति को महसूस कर समझ सकते हैं कि हमारा स्वास्थ्य कैसा है?
 तो आइए! एक एक कर ज्ञान प्राप्त करें कि कैसे बिना जाँच कराए हम अपने स्वास्थ्य की परख कर सकते हैं।
पहला गहरी नींद-नींद व्यक्ति के स्वास्थ्य के लिए एक महान औषधि है।नींद के बाद ही व्यक्ति अपने को तरो ताज़ा महसूस करता है।यदि आप को गहरी नींद नहीं आती है तो यह समझे कि आप का स्वास्थ्य ठीक नहीं है ।
दूसरा भूख का न लगना-भोजन से ही शरीर को ऊर्जा मिलती है,यदि किसी व्यक्ति को भोजन मिले और उसका शरीर में ठीक से पाचन न हो तो क्या वह ऊर्जावान बना रह सकता है,शायद नहीं अतः यदि आप को भूख नहीं लगती तो भी आप समझे कि आप का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है।
तीसरा त्वचा पर दाग धब्बे-शरीर के त्वचा पर अनावश्यक फोड़े फुंसी दाग धब्बे नहीं होने चाहिए,यदि चेहरे या शरीर के किसी भाग पर दाग धब्बे या फोड़े फुंसी हो रहे हैं तो समझिए कि आप का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।हो सकता है की रक्त विकार की समस्या हो रही है।
चौथा मोटापा,वजन का बढ़ना-व्यक्ति का वजन उसकी लम्बाई की तुलना में सही होना चाहिए।यदि आप का वजन बढ़ रहा है,मोटापा या चर्बी बढ़ रही है तो निश्चित समझिए कि आप बीमारी की ओर अग्रसर हैं।हम सभी को मोटापा पर तत्काल ध्यान देना चाहिए,क्योंकि विद्वान कहते हैं कि “Obesity is the root cause of all diseases.”
पाँचवाँ ऊर्जावान न महसूस करना-यदि आप सोकर जब उठते हैं और प्रसन्नता का अनुभव नहीं करते और यदि आप अपने को बुझा बुझा महसूस करते हो और शरीर ऊर्जावान नहीं महसूस होता तो समझिए कोई न कोई शारीरिक बीमारी हो रही है।
छठवाँ शरीर के किसी भी भाग में दर्द महसूस करना-यदि आप जागने या वैसे ही यदि आप अपने शरीर के किसी हिस्से में या जॉइंट्स में दर्द महसूस कर रहे हैं तो सतर्क हो जाइए कोई न कोई परेशानी है।दर्द हमेशा नहीं बना रहना चाहिए।यह भी अस्वास्थ्यकर स्थिति है।यह भी किसी बीमारी का लक्षण है।इसे दूर करने का उपक्रम करना चाहिए।
सातवाँ मन में नकारात्मक भावों का हमेशा बना रहना-यदि आप का मन सदैव नकारात्मक विचारों से भरा रहता है।आप किसी के नुक़सान की सदैव चिंतन करते है या बुरा करने की सोचते है,तो आप को किसी मानसिक रोग विशेषज्ञ से अवश्य परामर्श करना चाहिए।
आठवाँ पेट साफ़ न रहना-यदि आप का पेट साफ़ नहीं रहता,यदि सुबह उठते ही आप को शौच नहीं महसूस होता यदि आप शौच जाते है तो भी क्लियर बाउल मूवमेंट(Clear bowl movement )नहीं होता तो आप तत्काल किसी डॉक्टर से परामर्श करें या ख़ान पान में बदलाव करें जिससे शौच करने जाने पर पेट तत्काल साफ़ हो जाए।
उपर्युक्त कारण यदि हम सबके शरीर में है तो हमें तत्काल अपने डॉक्टर से सम्पर्क करना चाहिए और अपने स्वास्थ्य हेतु उपचार का प्रबन्ध करना चाहिए।
सीनियर सिटीज़न भी अपने स्वास्थ्य का परीक्षण बिना जाँच कराए निम्न तीन प्रकार से घर पर ही कर सकते है कि उनका स्वास्थ्य ठीक है अथवा नहीं।आइये! इस पर भी दृष्टिपात करें।
पहला हमारे बुजुर्ग साथी भाई या बहन कमरे के किसी कोने में एक पैर पर १०-२० सेकंड तक खड़े होने का प्रयास करें यदि वे खड़े होने में असमर्थता महसूस करते हैं,तो समझे कि अपने स्वास्थ्य की देखभाल अच्छे से करने की ज़रूरत है।यहाँ पर हम कमरे के कोने में ही खड़े होने की मैं क्यों कह रहा हूँ क्योंकि यदि बुजुर्ग भाई बहन अगर लड़खड़ायें तो उन्हें गिरने से दोनों तरफ़ की दीवारें बचा लें ।
दूसरी पहचान यदि उम्रदराज व्यक्ति अपनी साँसों को १०-२० सेकंड तक भी रोक पाने में असमर्थ रहते है तो समझना चाहिए कि आप को हल्के फुलके अभ्यास की ज़रूरत है और खान पान पर ध्यान देने की विशेष आवश्यकता है।
तीसरा अपने शरीर के पूरे वजन के १०% के बराबर बजन के बराबर,जैसे यदि आप का वजन ६० किलो है तो उसका १०% यानि ०६ किलो कोई सामान छाती के बराबर तक हाथ से उठाये रखें यदि १०-२० सेकेंड तक भी आप उसे उठा पाने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं तो आप को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देने की विशेष ज़रूरत है।अपने भोजन पर ध्यान दें।
उक्त के अतिरिक्त कुछ और उपाय हैं जिन्हें आप अपने दिनचर्या में शामिल कर अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।सम्भव हो तो सुबह उठकर किसी बगीचे या पार्क या खुले स्थान पर अर्ली मॉर्निंग टहलने की अपने साथियों के साथ डालें। दोस्त न भी हों तो अकेले टहलने की आदत डालें।मनीषी कहते हैं कि सुबह की हवा अपने आप में दवा है।यह मेरा भी दावा है।
अपने हॉबी के अनुसार कार्य भी सम्पादित करें।जैसे संगीत,गायन,वादन कोई अन्य कला लेखन साहित्य सृजन जिसने भी दिल लगता हो वह कार्य करें।इससे स्वास्थ्य ठीक रहता है।
हम सभी को गुनगुने स्वच्छ पानी पीने का अभ्यासी होना चाहिए।कभी भी ठंडा पानी फ्रिज का पानी नहीं पीना चाहिए।यदि व्यक्ति केवल स्वच्छ जल पीना शुरू कर दे तो लगभग ७०% बीमारियाँ जो जल जनित होती हैं वह हम सबसे दूर हो जायें ।
हम सभी को अपने जीवन में स्वच्छता को भी अपनाना चाहिए।कहते हैं कि “जिसका स्वच्छ रहे घर बार।खुशियों का रहता अम्बार ।।”स्वच्छता देवत्व के निकट माना जाता है।इसीलिए हम सभी को अपने जीवन में व्यक्तिगत स्वच्छता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
अभी करोना काल में हम लोगों ने इसे महसूस किया था।
भोजन समय पर करना चाहिए और पौष्टिक आहार हमे लेना चाहिए जैसे भोजन में ४०%सब्जियाँ १०%फल २५%प्रोटीन व २५%अनाज का हिस्सा होना चाहिये।
यदि मान लें कि यदि पौष्टिक भोजन की सामर्थ्य नहीं है,तो साक भाजी सीजन में होने वाले फल जो सस्ते होते हैं उनका उपयोग करें और सुबह सबेरे अवश्य टहलें।बथुआ की साग,पालक की साग गाजर गन्ना जो गाँव में आसानी से उपलब्ध हो जाता है इत्यादि 
का सेवन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है।एक बात हम सभी के लिए हमारे पुरूखों पुरनियों ने बताया है कि “कर भला तो हो भला “और नियत साफ़ रखने से जीवन के किसी भी क्षेत्र में बरक्कत हासिल की जा सकती है।अन्तः करण पवित्र रखें।”कबीरा आप ठगाइये और न ठगिये कोय।”का भी पालन करें कोई आप को ठग ले कोई बात नहीं परन्तु अपने को किसी को ठगने का प्रयास नहीं करना चाहिए यह कबीर दास जी ने हम सभी को समझाया है।यह संतों महात्माओं ने भी हमे शिक्षा दी है।
अंतिम बात,जब कोई घर में आप की बात कोई न सुने तो मित्रो आप पढ़ने के अभ्यासी बनें।अच्छी अच्छी पुस्तकों का अध्ययन करें।गीता और रामायण या अन्य अच्छी पुस्तकों का पाठ करें क्योंकि कहते हैं कि “Books are best provision in old age.”
लेखक:कई राज्य स्तरीय सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार,मोटिवेशनल स्पीकर,कई पुस्तकों के सृजनकर्ता,शिक्षाविद्,ऑल इंडिया रेडियो के नियमित वार्ताकार व प्रशिक्षक और अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी का मुख्य मार्ग दर्शक है।

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