श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच का नव वर्ष पर कवि सम्मेलन संपन्न

श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच का नव वर्ष पर कवि सम्मेलन संपन्न

मुमकिन है अपनी गिनती दो चार में रहे,नफरत को छोड़ कर के बस प्यार मे रहे– डॉ. संगीता पाल

सोनभद्र, उत्तर प्रदेश : 
सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘श्याम साहित्य दर्पण काव्य मंच’ संबद्ध सोनभद्र मानव सेवा आश्रम ट्रस्ट द्वारा आंग्ल नव वर्ष २०२५ के आगमन पर वर्चुअल माध्यम से भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों से जुड़े नामचीन कवि और कवयित्रियों ने अपनी विरासत, भारतीय संस्कृति, संस्कार, और सैनिकों के नाम कविताएं पढ़कर अपने राष्ट्र को याद किया। कार्यक्रम का विधिवत् शुभारंभ संस्था की राष्ट्रीय संरक्षिका व कार्यक्रम अध्यक्षा डॉ संगीता पाल ने अपनी सुमधुर वाणी वंदना से किया। राजधानी लखनऊ से शिरकत कर रहे कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कृष्ण कुमार मौर्य सरल जी सामाजिक चेतना व आपसी भाईचारा पर कविता सुनाकर लोगों का दिल जीता। वहीं विशिष्ट अतिथि की भूमिका में सिंगरौली के देवसर मध्य प्रदेश के वरिष्ठ साहित्यकार एवं संगीतकार उमेश कुमार गुप्त ने हारमोनियम के साथ प्रेरक गीत सुनाकर नए साल के आगमन की शुभ कामनाएं दीं। इस सम्मेलन में बिजनौर से कवयित्री ज्योति राज मधुरिमा, ऋषिकेश से प्रियंका भट्ट प्रिया, पूर्णिया बिहार से नीतू रानी, अलवर से डॉ. दीपाली वार्ष्णेय, सीमा व बीना गुप्ता, बेंगलुरु से कविता पनिया, दिल्ली से प्रतिमा पाठक और पूनम सिंह भदौरिया, सुल्तानपुर से अनुपम शुक्ला, हरियाणा से दीपा शर्मा,  पाली राजस्थान से आशा पंकज मूंदड़ा ने एक से बढ़कर एक रचनाएं सुनकर वाहवाही बटोरीं। इस पूरे कार्यक्रम का सफल संचालन राष्ट्रीय सचिव व यूथ आइकॉन कविवर अवध बिहारी अवध ने किया। संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व मोटिवेशनल स्पीकर डॉ विपुल कुमार भवालिया ने “जो गया सो गया, जो आया तो आया” सुनाकर नए साल की बधाई दिए। सोनभद्र उत्तर प्रदेश से संस्थापक कवि शिक्षक एवं समाजसेवी श्याम बिहारी मधुर ने सामाजिक परिदृश्य पर रचना “हालात दिल के हुए हैं कैसे, ये कैसी फ़ितरत निखर रही है, दूर हो रहे हैं लोग अपने, क्यों जिंदगानी बिखर रही है” सुनाया। अंत में कार्यक्रम अध्यक्षा डॉ संगीता पाल ने अपने अध्यक्षीय संबोधन के साथ अपनी मधुर वाणी में “मुमकिन है अपनी गिनती दो चार में रहे, नफरत को छोड़ कर के बस प्यार में रहे, चाहत नहीं बनूँ कभी अख़बार की खबर, पत्थर के लेख जैसा किरदार में रहे।” सुनाकर कवि सम्मेलन का समापन किया।

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