गणतंत्र की जय हो

गणतंत्र की जय हो 
जनमानस की सहज गति से,
प्रत्येक क्षेत्र में जय हो ।
किसी तरह के विघ्न मिले ना,
गणतंत्र की सदा विजय हो।

प्रजातंत्र का संपूर्ण जगत में,
कोई न ऐसा एक भी देश।
अनेक जाति, धर्म ,भाषा की जननी,
अपना भारत देश विशेष।
इस पर उठने वाली हर कुदृष्टि का,
शीघ्रातिशीघ्र जड़ समूल क्षय हो।
गणतंत्र की  सदा विजय हो।

असंख्य देशभक्तों ने अपना ,
सब कुछ कुर्बान किया ।
भारत माता की रक्षा में ,
निज सुख का कभी न ध्यान दिया।
हर भारतवासी बोले,
भारत माता की जय हो।
गणतंत्र की सदा विजय हो।

कानून का सब पालन करते,
हम संविधान के रखवाले ।
समानता ही मूलमंत्र हमारा,
विश्व बंधुत्व मानाने वाले।
होकर स्वतंत्र आनंदित जिएं,
अराजकता का ना कोई भय हो।
गणतंत्र की सदा विजय हो।

कवि चंद्रकांत पाण्डेय, 
मुंबई, महाराष्ट्र, 

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