नये वर्ष में आगे बढ़ना
(कविता)
कमियाँ कहाँ, उसे पहचानो,
संघर्षों से हार न मानो।
अनुदिन बस, प्रयास है करना,
चिंतन से, आगे को बढ़ना ।।
साफ़ हृदय ईमान से रहना,
जीवन, नैतिक गुण से भरना।
महापुरुष, की बातें मानो,
मातु पिता व गुरु को जानो ।।
नियत साफ़ रख काम करो,
किसी का मत अपमान करो।।
जीवन को, आदर्श बनाओ,
क्या बनना है, उसको पाओ।।
दूजों से, मत करो अपेक्षा,
पूरी करना, ख़ुद की इच्छा।
सपने देखो व सफल बनो,
लक्ष्य असंभव, प्राप्त करो ।।
ख़ुद निर्णय से, पाना गौरव,
संघर्षों से, लेकर अनुभव ।
चिंताओं से, मत घबराना,
स्वमन को, मजबूत बनाना ।।
असफलता को, गले लगाना
कठिन राह है, मत घबराना ।
श्रम करते, बस चलते जाना,
निश्चित है, मंजिल को पाना ।।
भीड़ से हटकर, नजर जो आया
कमियों को, है दूर भगाया ।
ख़्वाब यदि है, पूरे करना,
खूटों से,मत बंध कर रहना ।।
उड़ना चाहो, मुक्त गगन में,
न प्रमाद हो, अन्तर्मन में ।
श्रम करने से, मत कतराना,
नए साल को, सफल बनाना।।
रचनाकार : डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा
सुन्दरपुर वाराणसी