जन्म लेने से पहले मत मारो

जन्म लेने से पहले मत मारो 

                 (फोटो साभार गूगल)

मनभावन, पावन, सुंदर  वसुंधरा यह, 
दर्शन करने  की मेरी चिर अभिलाषा। 
अनगिनत संबंधों कोअत्यंत करीब से, 
जानने, मानने, समझनेे  की जिज्ञासा। 

वचन, कर्म, मन, वाणी  से  कभी भी, 
भूलकर भीआपको न कष्ट पहॅुचाऊँगी। 
जैसा भी पालन -पोषण आप करेंगे, 
सहर्ष स्वीकार वह जीवन कर जाऊँगी। 

आप सभी की सेवा-सुश्रुषा ध्येय रखूंगी, 
लोकमर्यादा का सदा, मैं पालन करूँगी। 
स्वप्न में कभी,उत्तम संस्कार न छोड़ूँगी, 
पूरी तन्मयता रखूँगी, जब तक जिउँगी। 

जन्म लेने से पहले,मत मारो माता- पिता, 
एक अवसर मिले जो कहा,कर दिखाऊँगी। 
बेटियाँ कैसी और क्या -क्या कर सकती हैं, 
आने वाली पीढ़ी को मैं खुद दिखा पाउंगी। 
कवि- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई / महाराष्ट्र 

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