विश्वकर्मा समाज में नेतृत्व क्षमता विकास व राजनैतिक भागीदारी
कैसे : विज्ञ डॉक्टर दयाराम विश्वकर्मा
नेतृत्व को बखूबी समझने के लिए,पहले नेता कौन उस पर हम सब ध्यान दें।नेता वह व्यक्ति होता है,जो लोगों के एक समूह को एक सामान्य लक्ष्य की ओर काम करने के लिए प्रेरित करता है,वह दूसरों को दिशा प्रदान करके,निर्णय लेकर टीम के लिए उदाहरण पेश करता है।वहीं नेतृत्व क्षमता इष्टतम लोगों का प्रबंधन,प्रक्रियात्मक निरंतरता एवं बुद्धिमत्ता के साथ निर्णय प्रदान कर पूरे संगठन को महत्व पूर्ण लाभ प्रदान करता है।
एक अच्छे नेता में दूरदर्शिता,भावनात्मक बुद्धिमत्ता,विश्वास और पारदर्शिता,प्रभावी संचार,अनुकूलन शीलता/लचीलापन के पाँच गुण होने चाहिए।स्पष्ट दृष्टिकोण प्रभावी नेतृत्व की नींव होता है।खुद की और दूसरों की भावनाओं को पहचानना और उसका प्रबंधन करना भावनात्मक बुद्धिमत्ता के अन्तर्गत आता है।विश्वास प्रभावी नेतृत्व की मजबूत कड़ी है।बिना विश्वास के,मजबूत रिश्ते बनाने में कठिनाई आती है,और पारदर्शी तरीके से कार्य करने से सकारात्मकता उत्पन्न होती है।वही प्रभावी संचार नेतृत्व के लिए बुनियादी आवश्यकता होती है,इसीलिये कहते हैं कि एक अच्छे नेतृत्व के लिए अच्छा वक्ता होना जरूरी होता है।कुछ विद्वानों का मानना है कि एक अच्छे नेता में नेतृत्व क्षमता,संचार कौशल,निर्णय लेने की क्षमता,समस्या समाधान कौशल,नैतिकता और ईमानदारी,सहानुभूति एवं सहयोग,आत्म विश्वास व साहस,ज्ञान और अनुभव,नवाचार करने की क्षमता,लचीलापन के साथ साथ जिम्मेदारी व जवाबदेही के गुण भी होना आवश्यक है।
मनीषियों ने किसी क्षेत्र में अगुआई करने के निम्नांकित 16 गुणों की पहचान की है।
1-गुणवान,ज्ञानी,हुनरमंद होना 2-किसी की निंदा न करने का गुण 3-प्रेम और सेवा करने का भाव 4-विनम्रता और अपनत्व 5-सत्य बोलने वाला ईमानदार 6-दृढ़प्रतिज्ञ मजबूत हौसले वाला 7-अच्छा विचार व्यवहार रखने वाला सदाचारी 8-सभी की रक्षा करने वाला मददगार व्यक्तित्व 9-बुद्धिमान एवं विवेकशील विद्वान 10-सभी का भरोसा और समर्थन पाने वाला सामर्थ्यशाली 11-आकर्षक व्यक्तित्व 12-धैर्यवान व व्यसन से मुक्त 13-शांत और सहज ।क्रोध पर नियंत्रण रखने वाला 14-कांतिमान अच्छा व्यक्ति 15-स्वस्थ्य,संयमी और हृष्ट पुष्ट और 16-जागरूक जोशीला और गलत बातों का विरोधी होना।
उपर्युक्त गुण यदि किसी व्यक्ति में हो तो वह किसी भी क्षेत्र में लोगों की अगुआई या नेतृत्व कर सकता है।यदि विश्वकर्मा भाई/बहन भी नेतृत्व करना चाहते हैं तो उन्हें उपरोक्त गुणों को अपने अन्दर समाहित करने का प्रयत्न करना चाहिए।
अब आइये! राजनैतिक भागीदारी कैसे हो?पर चिंतन मनन किया जाए।मित्रो राजनैतिक भागीदारी हेतु सबसे पहले लोगों से सम्पर्क साधना और लोगों को जोड़ने की आवश्यकता से शुरू होता है आप जिस भी गाँव,नगर,शहर,महानगर के निवासी हो आप अपना सम्पर्क कर दायरा विस्तार करें।इसके लिये आप को घर से बाहर निकलना पड़ेगा और इसके लिये धन की भी ज़रूरत होगी और किसी अच्छे राजनैतिक पार्टी की सदस्यता ग्रहण करनी होगी।साथियों!पहले तो राजनीतिक अखाड़े में उतरने से पहले अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना पड़ेगा।यानि कहने का मतलब अतिरिक्त आय का स्रोत यदि नहीं बनायेंगे तो राजनीति नहीं कर पाएँगे।दूसरी बात जो मैं आप सभी से कहना चाहता हूँ कि आप राजनीतिक भागीदारी पाने के लिए आप सबको छोटे छोटे चुनाव में भी सहभागी होकर शुरुआत करनी पड़ेगी जैसे गाँव के वार्ड सदस्य और ग्राम पंचायत के प्रधान के चुनाव लड़ने पड़ेंगे चाहे भले ही हार मिले या जीत उसकी चिंता किए बगैर लगातार कोशिश जारी रखनी पड़ेगी।मित्रों इसके लिए हम सभी को पहले अपने पांचों भाइयों से मेल मिलाप करना होगा और अपने क्षेत्र के लोगों में अपना विश्वास दिखाना पड़ेगा,साथ ही लोगों के सुख दुःख में निरन्तर सहभागी बनना पड़ेगा तभी आप कोई चुनाव जीत पाएंगे।बात मैं वार्ड मेम्बर के चुनाव की कर रहा था जो लगभग 100/125 की जनसंख्या के मध्य होता है।यह चुनाव गाँव से ही लड़ा जाता उसके लिए भी पर्चा विकास खण्डों से भरना होगा।इसके आगे ग्राम प्रधान के लिए जो लगभग 1000 की जनसंख्या पर ग्राम पंचायत के प्रधान का चुनाव लड़ा जाता है का भी पर्चा विकास खण्ड पर दाखिल करना पड़ेगा।यदि कोई भाई क्षेत्र पंचायत के सदस्य का चुनाव लड़ना चाहता है तो आप को बता दें कि यह लगभग 2000 की आबादी पर एक क्षेत्र पंचायत सदस्य चुना जाता है।इसके लिए भी अपने लोगों को आगे आना पड़ेगा और चुनाव के वक्त विकास खण्ड से जाकर पर्चा खरीद कर यह चुनाव लड़ा जा सकता है।यहाँ यह भी अवगत करा दें कि 73 रवें संविधान संशोधन के द्वारा पंचायतों के चुनाव में 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा चुका है।यदि आप नगर क्षेत्र में निवास कर रहे हैं तो नगर पंचायत सदस्य हेतु भी अपना भाग्य आज़मा सकते हैं यदि आप नगर पालिका परिषद के निवासी हैं तो उसके सदस्य हेतु अपनी दावेदारी पेश करें। महानगरों में पार्षद के लिए भी हम लोग क्यों नहीं आ सकते हैं, नगर पंचायतों में भी 74 रवें संविधान संशोधन के द्वारा 33% सीट महिलाओं के लिए आरक्षित किया जा चुका है।हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ भी हासिल नहीं होगा,यह मान लीजिए।यदि आप की शोहरत व क्षमता अधिक है,तो विकास खंड के प्रमुख,नगर पंचायत का अध्यक्ष या नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष या नगर निगम के प्रमुख हेतु भी फाइट कर सकते हैं,बशर्ते इसके लिए आप को पहले क्षेत्र पंचायत सदस्य,नगर पंचायत सदस्य या नगर पालिका परिषद का सदस्य या नगर निगम के पार्षद का चुनाव जीतना होगा।
राजनीति करने के लिए आज धन के साथ साथ शाम,दाम,दण्ड,भेद की नीति भी अपनानी होगी तभी सफलता मिलेगी।परन्तु यहाँ मैं बताना चाहूँगा कि हमारे समाज के लोग सभ्य और शालीन होते हैं बस बचकर अपनी गोटी फिट करनी पड़ेगी तभी आप उक्त चुनाव जीत पाने में सफल होंगे।
मित्रों मैं आपको बताना चाहूँगा कि आप उक्त चुनाव के लिए तैयारी करें चाहे भले ही हार हो या जीत आप की पहचान बनना शुरू हो जाएगी।एक कहावत भी है कि”गिरते हैं शाहंशाह ही,मैदाने जंग में।वो शक्स क्या गिरे,जो घुटनों के बल चले।”तो आप विश्वकर्मा समाज को राजनीतिक भागीदारी दे सकते हैं।इस सन्दर्भ में मैं आप सभी से निवेदन करूँगा कि सभी आपसी मतभेदों को भुलाकर विश्वकर्मा समाज किसी छोटे चुनाव को लड़ने से पहले अपने समुदाय में योग्य व्यक्ति को ही चुनाव लड़वाने का सर्वसम्मति से निर्णय लें यदि कोई बात नहीं मानता तो क्षेत्र के अपने समाज के मानिंद आदमी नेता या प्रतिष्ठित व्यक्ति की सहायता लेते हुए अपने क्षेत्र के विश्वकर्मा उम्मीदवार का ठोंक ठठाकर चयन कर पर्चा दाखिल करायें।
जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लगभग 5000/6000 के मतदाताओं के मध्य होता है इसके लिए अपने क्षेत्र के अति प्रतिष्ठित विश्वकर्मा वंश के उम्मीदवार को पर्चा भरने और उन्हें जिताने का प्रयास करें।जिला पंचायत सदस्य ही मतदान से जिला पंचायत अध्यक्ष को चुनते हैं।इस चुनाव में ज़्यादा पैसे खर्च होते हैं लेकिन अब अपने वंश के लोग भी जिला पंचायत अध्यक्ष और विकास खण्ड के प्रमुख चुने जाने लगे हैं।यह अपने समाज में आई जागरूकता का ही परिणाम है।
मित्रों!विधायक/सांसद के भी चुनाव लड़ने हेतु अब बहुत सारी अपने समाज में पार्टियां बनी हैं,किसी अच्छी पार्टी से पर्चा दाखिल कर चुनाव लड़ने की हिम्मत हम सभी को जुटानी पड़ेगी तभी हम इस सोते समाज को राजनैतिक भागीदारी दिलाने में सफल होंगे यदि आप योग्य हैं और आप की क्षेत्र में साख है तो आप निर्दल प्रत्याशी होकर भी चुनाव लड़ सकते हैं।चिंता न करें कि हम हारेंगे या जीतेंगें ।इससे आप सबकी साख क्षेत्र में अवश्य बढ़ेगी।
जिले स्तर पर,तालुका स्तर पर,विकास खण्ड स्तर पर,हम सबको भी अपने अपने संगठन का एकीकरण कर सर्वमान्य , बहुमत के आधार पर ,अपने कुल के प्रतिष्ठित लोगों को आगे बढ़ाना हम सभी के लिए अति आवश्यक है।अगर हमारे समाज का या विश्वकर्मा संगठन का कोई भी प्रत्याशी कहीं से चुनाव लड़े तो हम सभी विश्वकर्मा वंशियों को एकजुट होकर उसका प्रचार प्रसार करके उसके पक्ष में मतदान करना चाहिए।किसी भी दशा में एक भाई के सामने दूसरा स्वजातीय बंधु चुनाव न लड़े ऐसा करने पर दो के झगड़े में कोई अन्य वाजी मार लेगा।चाहे वह किसी भी दल में टिकट पाया हो। जैसे बसपा के लोग एक जुट होकर अपने जाति के अथवा अपनी पार्टी के उम्मीदवार को ही वोट डालते है। तभी उस पार्टी का मान सम्मान बना है। ऐसे ही विश्वकर्मा समाज के लोगों को भी एकजुटता दिखानी पड़ेगी,तभी हम समाज को राजनैतिक भागीदारी दिला पाने में सक्षम हो सकेंगे।
मेरे कुल के भ्राता श्री और बहनों से मैं यह निवेदन करना चाहता हूँ कि यदि आप सभी अपने समाज को ताकतवर बनाना चाहते हैं तो जिले स्तर पर, तहसील स्तर पर, ब्लॉक स्तर पर,विश्वकर्मा संगठन को मजबूत करें और समाज में सर्व मान्य नेता को चयनित कर विश्वकर्मा समाज उनको चुनाव में खड़ा करे और सभी तन मन धन से सहयोग करें।अपने कुल के भाइयों के प्रचार हेतु भी सक्षम लोग उस क्षेत्र में जाकर अपने जाति के प्रत्याशियों को जिताने में प्राण प्रण से लगे,तभी आप राजनीति में मुकाम हासिल कर पाएंगे।जरा सोचिए 14.7% की जनसंख्या वाले इस विशाल समाज के पूरे भारत में अंगुली पर गणना करने वाले ही लोग विधायक,विधान परिषद सदस्य व सांसद/राज्य सभा सांसद है यह कितना हास्यास्पद व चिंताजनक है।अब जरूरत इस बात की है कि सभी शिल्पकार जाति के लोगों का एक विशाल मंच बनाने की सार्थक पहल आवश्यक है। यदि सभी अपने शिल्पकार भाई एक मंच पर आ गए तो समझें राजनैतिक भागीदारी होकर रहेगी।
लेखक:पूर्व जिला विकास अधिकारी, कई राज्य स्तरीय सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार,मोटिवेशनल स्पीकर,कई पुस्तकों का प्रणयन कर्ता,शिक्षाविद,सामाजिक चिंतक और अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी का मुख्य मार्गदर्शक है।