(भजन)
हे अयोध्या के राम !
हे अयोध्या के राम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
तेरा ही जग में बड़ा नाम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
हे दशरथ के राम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
बस तेरा जपने से नाम,
मानव पाता है मुक्ति धाम।
हे कौशल्या के राम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
हे सिया के राम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
तेरे चरणों में है चारो धाम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
हे अयोध्या के राम,
तुझे शत् शत् प्रणाम ।
"गौतम" जपते है निश दिन,
बस तेरा ही नाम, राम! राम! राम!
कवि/ शिक्षक - गौतम विश्वकर्मा
सोनभद्र
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