प्रयागराज का महाकुंभ -(2025)
स्वर्ग सा सुंदर,अति विशिष्ट,मनोरम,
भारत पावन पवित्र कुंभ का देश।
ईश्वर जहां लेते अवतार ,
अलग-अलग रूपों में बदल वेश।
कुंभ माहात्म्य जग भर चर्चित,
महाकुंभ की गाथा अनंत ।
पवित्र स्नान सदा मुक्ति प्रदायक ,
कीर्ति विख्यात है दिग् दिगंत।
शताब्दियों बाद उपस्थित महाकुंभ,
विशेष,अतिविशेष,अनूठा है।
अमृत तुल्य यह महास्नान पर्व,
अवसर चुके तो ईश्वर रूठा है।
कलश से अमृत छलक पड़ा था,
संगम जल अमृत बना पावन।
महाकुंभ स्नान शत प्रतिशत मोक्षप्रदायक,
जीवन बन जाता बहुत सुहावन।
प्रयागराज धरती की पुण्य भूमि,
भाग्योदय होने पर मिले यह स्वर्ग स्थान।
ऋषि,मुनि,संतों की पावन भूमि यह,
उपस्थित हो प्रयागराज करें महाकुंभ स्नान।
आराधक,भक्त,सनातनी सब संतानें,
लिए मां गंगा,यमुना,सरस्वती आशीष कामना।
लगी पहुंचने विविध स्थल,अनेक साधनों से,
शारीरिक कष्टों को भूल,दुखों का कर सामना।
पुण्य प्राप्ति पथ पर जो भी कष्ट मिले,
उनका आभास किसी को कहां।
एकमात्र कामना महाकुंभ स्नान,
कुछ लोगों को जाना पड़ा अन्यत्र जहां।
जिसने चाहा इस पावन अवसर का,
लाभ ग्रहण किया महाकुंभ नहाया ।
प्रशासन का सहयोग सहायक बना,
प्रयास किया खूब पुण्य कमाया।
कवि- चंद्रकांत पाण्डेय,
मुंबई,महाराष्ट्र