जिनकी पुस्तक पर मैं आज प्रकाश डालने जा रही हूं वो हिंदी साहित्य के मुर्धन्य कवि एवं विशिष्ट साहित्यकार हैं, आप एक वरिष्ठ अध्यापक भी है, और बहुत ही सरल एवं सहज व्यक्तित्व के धनी हैं। आदरणीय डॉ राम कुमार झा निकुंज जी । साहित्य के क्षेत्र में विशेष योगदान रहा है, इनकी बहुत सी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, उनमें से कुछ पुस्तकों के नाम का उल्लेख मैं कर रहीं हूँ । जैसे युगांतर, उद्बोधन, शंखनाद , पुकारती मां भारती , कराहती संवेदनाएं जैसे अनेक महत्वपूर्ण पुस्तकें हैं, जिनमें से एक पुस्तक मुझे पढ़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। पुस्तक का नाम "यायावर" एकल काव्य संग्रह है। इसमें हर तरह कि रचनाओं का समावेश है। जैसा कि नाम ही यायावर है तो हर क्षेत्र में भ्रमण करतीं हुई बहुत ही उत्कृष्ट रचनाएं हैं ।
जैसे - देशहित, नारी विमर्श, ग़रीबी, जवानों को संबोधित करते हुए कुछ रचनाएं हैं तो कुछ रचनाएं मां भारतीङ गया है,और मानव मस्तिष्क के अच्छे बुरे दोनों पहलुओं को दर्शाती रचनाएं भी है, शब्दों का सुंदर चयन और बेहतरीन ढंग से पंक्तिबद्ध कर इस #यायावर के कविता रुपी पथ को सजाया है परम आदरणीय श्री निकुंज जी ने। ये पुस्तक की समीक्षा नहीं अपितु यह सिर्फ मेरे मनोभाव है,
इसमें सभी रचनाएं एक से बढ़कर एक है ।
- रंजना पांडेय मुक्ता
मिर्जापुर, वाराणसी
उत्तर प्रदेश
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संपादकीय/ पुस्तक समीक्षा