परिवार

परिवार 

सहमति ,असहमति हो सकती,
कभी ना कभी हर परिवार में।
टूटे पत्ते सदृश बिखर जाओगे,
आनंद ना खोएं छोटी तक़तार में।
    
ज़िंदगी की दृढ़  जड़ होते,
मित्र ,संबंधी, सुंदर परिवार।
जीवन के उत्तम फल हैं,
धन ,ज्ञान, सुंदर विचार।

परिवार ही माना जाता,
नागरिकता की प्रथम पाठशाला।
जीवन कर्मों का केंद्रबिंदु,
उत्कर्षों की उत्तम कार्यशाला।

बड़ी अहमियत परिवार की,
यही रिश्तों को जोड़ता।
बड़ा कीमती सदा रहा है,
विकास की तरफ ही मोड़ता।

प्रेम, करुणा, दया, परोपकार,
अनुशासन परिवार सिखाता।
समय का पालन, कार्य प्रतिष्ठा,
 बड़ों का करना सम्मान बताता।

महान व्यक्तित्व का सृजन,
परिवार ने दिया पर्याप्त सहारा।
देशभक्ति, सामाजिक सेवा व्रत,
कोई ना इसमें बेसहारा।

परिवार से जुड़ें  पूरे दिल से,
आदर्श बनें हर संस्कार।
सुंदर फूल खिलें प्रत्येक कुटुंब में,
सुखी रहे सबका संसार।

कवि - चंद्रकांत पाण्डेय,
मुंबई,महाराष्ट्र,

एक टिप्पणी भेजें

और नया पुराने