देवी ब्रह्मचारिणी ( दूसरा स्वरूप )

देवी  ब्रह्मचारिणी ( दूसरा स्वरूप ) 
शांति    स्वरूप   माँ   दुर्गा   का  , 
शास्त्रों  में   वर्णित  ब्रह्मचारिणी । 
भव्य  ,  पूर्ण    रूप   ज्योतिर्मय  , 
सदा भक्तजनों की  दुःखहारिणी । 

दाहिने हाथ सुशोभित जप माला,
बाएँ   हाथ  कमंडल  अति  सोहे। 
पूर्ण   उत्साहित   दिखती  माता  , 
रूप    सदा   भक्तन   मन   मोहे । 

मईया  पुत्री  हिमालय -मैना  की , 
पत्नी  बनी  शिव  शंकर जी की ।
 मुनि   नारद  जी  के  कहने पर  , 
की कठिन तपस्या अपने वर की । 

अति  घोर उपासना की जंगल में , 
नाम    पड़ा   फिर   तपश्चारिणी । 
भोलेनाथ    से    हुआ   परिणय , 
सच हुई मुनि नारद भविष्यवाणी। 

जो   मिश्री , चीनी , पंचामृत  का , 
 भक्तों  में  प्रसन्न  हो करता दान । 
सौभाग्य,प्रसन्नता अवश्य मिलती , 
लंबी    उम्र   का   मिले   वरदान । 

कवि- चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई  / महाराष्ट्र

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