बीत गई होली

बीत गई होली 

बीत गई रंगीली होली,अपनी कुछ यादें छोड़ के,
किसी का दिल जोड़ के,किसी का दिल तोड़ के।

किसी ने गुलाल,अबीर मंगाया,
किसी ने गले से अपनों को लगाया।
किसी ने बिखेरा रंग,फुग्गे फोड़ के।
किसी का दिल जोड़ के, किसी का दिल तोड़ के।

किसी ने पीया भांग,झूम-झूम के,
ठंडई पीया किसी ने, चूम-चूम के।
देवर ने रंग लगाया,भाभी को हाथ जोड़ के।
किसी का दिल जोड़ के,किसी का दिल तोड़ के।

मौज मस्ती में यार, दोस्त दिखे चकनाचूर,
होली का आनंद उठाए,एकदम भरपूर।
चढ़ा जब नशा,लड़े आपस में बांहे मरोड़ के।
किसी का दिल जोड़ के,किसी का दिल तोड़ के।

अगले वर्ष फिर ,यह त्योहार आएगा,
युवा दिलों पर, फिर खुमार छाएगा।
बंधे रहो सभी,स्नेह के धागे जोड़ के।
किसी का दिल जोड़ के, किसी का दिल तोड़ के।

बीत गई रंगीली होली, कुछ यादें छोड़ के,
किसी का दिल जोड़ के, किसी का दिल तोड़ के।

कवि - चंद्रकांत पाण्डेय
मुंबई,महाराष्ट्र,

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