सम्पूर्ण विधि विधान से दक्षिण भारत में विश्वकर्मा विश्व ब्राह्मण के पीठाधीश्वर अभी भी होते हैं ।
गत सप्ताह धर्मेश्वर वाटिका धर्मबीर नगर चितई पुर वाराणसी में विश्वकर्मा विश्व ब्राह्मण कुल की दो महान विभूतियां/शंकराचार्य पधारे जिसमे श्री कांता जी महराज हैदराबाद नागौर के श्रीमठ नंदीकोंडा गायत्री पीठम के पीठाधीश्वर हैं जिन्हें तेलंगाना सरकार ने स्टेट ऑनर दिया है,जो अपने कुल के जगद्गुरु भी उक्त पीठ के है।अभी मैं हैदराबाद के टूर पर था तो मैं उनसे सम्पर्क कर विश्वब्राह्मण,विश्वकर्मा ब्राह्मण के आचार्यों के सन्दर्भ में व्यापक चर्चा की और उन्हें वाराणसी आने का आग्रह किया था।
स्वामी जी कुम्भ स्नान के बाद,काशी पधारे और धर्मेश्वर वाटिका में अपने बारह शिष्यों के साथ एक दिवसीय प्रवास किये थे।यह मणिकांचन संयोग ही था कि उडुपी मैंगलोर के भी जगद्गुरू अगेगुण्डी जी महाराज भी धर्मेश्वर वाटिका में पधारे थे।उस दिन विश्वकर्मा वंशियों को अपने कुल के दोनों महान विभूतियों से मिलने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ जिसमे पूर्व न्यायाधीश पारस नाथ शर्मा जी अखिल भारतीय विश्वकर्मा ट्रस्ट वाराणसी के प्रबंधक श्री पांच गौण जी श्री नाथ जी धर्मेश्वर वाटिका के प्रोपायिटर श्री भरत विश्वकर्मा जी काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के प्रोफेसर डॉक्टर प्रेम शंकर श्री नीतीश शर्मा जी आदि गण मान्य लोग स्वामी द्वय का दर्शन लाभ किया।
स्वामी जी श्रीकांत जी महराज अपने पीठ में अपने कुल के बच्चों को छ वर्षीय कोर्स पढ़ाते हैं और उन्हें धर्म आध्यात्म कर्मकाण्ड पर प्रमाण पत्र देते हैं।
जगद्गुरु स्वामी श्रीकांत जी महाराज ने बताया कि दक्षिण भारत में विश्वकर्मा कुल के पांच पीठाधीश्वर जगद्गुरु होते हैं जो क्रमश:गायत्री, सावित्री,सरस्वति,शचि और संध्या पीठ कहलाते हैं;
परन्तु वर्तमान में शचि और संध्या पीठ अस्तित्व में नहीं है।समाप्त हो चुका है केवल तीन पीठ गायत्री,सावित्री और सरस्वति बचे है,जो अभी भी पुस्त दर पुस्त चलते आ रहें हैं और उन पीठों के पीठाधीश्वर जगद्गुरु धार्मिक विधि विधान से होते आ रहें हैं।
जगद गुरु अनेगुण्डी महासंस्थानम् कर्नाटक के उडुपी मंगलौर से जगदगुरु शंकराचार्य भी कुम्भ और काशी में पधारे थे,जो उक्त पीठ उड़प्पी मंगलौर के स्वामी जी हैं जिन्हें कर्नाटक सरकार ने स्टेट ऑनर दिया है,जो वर्तमान में प्रतिवर्ष सैकड़ों बच्चों को बारहवर्षीय वेद अध्ययन पर प्रमाण पत्र देकर समाज में विश्वकर्मा विश्वब्राह्मण उत्पन्न कर पूरे दक्षिण भारत में विश्वकर्मा कुल को रोशन कर रहे हैं।आप वह महासंस्थानम् देखकर प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते।स्वामी जी अपने प्रताप से भगवान विश्वकर्मा जी की महती कृपा से उक्त बहुमंजिला संस्थानम संचालित कर रहे हैं और आध्यात्मिक ज्योति जगाये हुए हैं।
आप सभी अपने कुल परिवार के भ्राता श्री व बहनों का मैं आवाहन करता हूँ कि यदि आप सभी बंगलौर,मंगलौर जाए तो उडुपी आश्रम में पीठाधीश्वर स्वामी जी जो सरस्वति पीठाधीश्वर शंकराचार्य है उनका दर्शन करना न भूलें।
: डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा