माता कूष्मांडा - ( चौथा स्वरुप )

माता  कूष्मांडा - ( चौथा स्वरुप ) 
माता कूष्मांडा रत्नजटित स्वर्ण मुकुट वाली,
     सूर्यलोक निवासिनी मैया अष्टभुजा धारी। 
         माता करें जीवन प्रकाशित,सुवाषित माँ, 
               कर में कमंडल शोभित सिंह की सवारी।

बाण,धनुष,चक्र,गदा से सुशोभित माँ, 
           कमल पुष्प,माला से सुंदरता निराली है। 
                     सूर्य सम तेज माता कूष्मांडा का, 
     आदिशक्ति भक्तों पर कृपा करने वाली हैं। 

 सिद्धियाँ और शक्तियां मिलें माता की उपासना से, 
           भक्तों के समस्त रोगों का होता विनाश है । 
                  असीमित भक्ति है प्रिय माता रानी की, 
                  सच्चा हृदय जिसका माता के पास है ।

कवि चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई  /  महाराष्ट्र

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