अनाचार और हिंसक प्रवृत्ति को समाप्त करने में मृदुता जैसे गुण की अप्रतिम भूमिका

अनाचार और हिंसक प्रवृत्ति को समाप्त करने में मृदुता जैसे गुण की अप्रतिम भूमिका                      

: डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा

मृदुता का अर्थ कोमल,नरम,मुलायम,शीतल और उदार से लगाया जाता है।मृदुता का गुण किसी वस्तु,व्यक्ति या स्थिति में पाया जा सकता है।भौतिक रूप से कोई बस्तु जो कोमल,नरम,मुलायम हो,व्यक्तित्व के स्तर पर जो नम्र,विनम्र दयालु हो उसे मृदुल कहा जाता है।जब कोई स्थिति शांत,धीमी या सहज हो तो उसे मृदुता के अन्तर्गत शुमार किया जाता है।एक बच्चा जब माँ से बात करता है तो उसकी मृदुता देखी जा सकती है।जब हम नरम बिस्तर पर सोते हैं;वहाँ मृदुता का आनन्द मिलता है और जब हम सैर करने जाते हैं;या घूमने जाते हैं;तो वहाँ की शांत,स्थिर,सुन्दर प्रकृति,मृदुता का एहसास कराती है।मृदुता इस संसार को बेहतर बनाने में मदद कर सकती है।
“मृदुता” व्यक्तित्व का एक महत्वपूर्ण गुण है,जो जीवन को सकारात्मक और सौहार्द पूर्ण बनाता है।मृदुल व्यक्ति उदार,दयालु और प्रेममय स्वभाव का होता है।
मृदुता को लोग नम्रता,विनम्रता,सहानुभूति और धैर्य के समन्वय से लगाकर देखते हैं,लेकिन यह ठीक नहीं।विनम्रता से भी मृदुता का अर्थ लगाना अपूर्ण है।मृदुला का यह अर्थ बोध बहुत संकुचित है।
“मृदुता का पूर्ण अर्थ-कठोरता और क्रूरता के विसर्जन से लगाना ——————————————————————————चाहिए।”
मृदुल व्यक्ति वही हो सकता है जिसमें करुणा व दया का अजस्र स्रोत प्रवाहित होता है।मित्रों!ऐसा व्यक्ति किसी का शोषण नहीं कर सकता।वह दयावान होता है।अपनी सुख सुविधा के लिए वह दूसरों की सुख सुविधाओं का अपहरण नहीं करता।
महावीर स्वामी ने बताया है कि बिना मृदु बने कोई धार्मिक हो ही नहीं सकता।उन्होंने धर्म के किले में प्रवेश करने हेतु शांति,ऋजुता और मृदुता को एक एक प्रवेश द्वार कहा है।आत्म परिष्कार और आत्म अनुसंधान के लिए मृदुता जरूरी है।अहम् भाव व्यक्ति को क्रूर बनाता है।क्रूरता प्रतिहिंसा को जन्म देती है।मृदुता से अपने आप को दूसरों से अतिरिक्त मानने की भावना मर जाती है।मृदुता से हम दूसरों के साथ बेहतर सम्बंध बनाते हैं।जीवन में सकारात्मकता आती है।जो व्यक्तित्व और जीवन में आन्तरिक शांति और संतुष्टि प्रदान करती है।मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी बहुत जरूरी है।मृदुता से नेतृत्व क्षमता में भी इजाफ़ा होता है।मृदुल व्यक्ति अपने अनुयायियों से विश्वास और सम्मान अर्जित करता है, जिससे आत्मीय भाव जागृत होता है और प्रभावी ढंग से काम करने का मार्ग प्रशस्त होता है।
मृदुल स्वभाव जागृत करने के लिए बच्चों को बचपन से ही माताओं को सीख देनी चाहिए।बच्चे बचपन से ही अनेकानेक संस्कार सीखते हैं जो उनके भावी जीवन को सुखमय बनाने में अहम् योगदान देते हैं।
मृदुल व्यक्ति को देखकर स्वतः मन में उसके प्रति आकर्षण का भाव उत्पन्न होता है।मृदुल व्यक्ति का गुण स्वभाव तथा चरित्र से मानसिक आकर्षण प्रेम तथा आनन्द प्रस्फुटित होता है।मृदुलता के अन्तर्गत वे सभी गुण समाहित होते हैं जिसके द्वारा दूसरों को प्रसन्न रखना,हृदय में प्रेम रखना,सबके साथ मित्रता पूर्ण व्यवहार करना और उत्तेजना,क्रोध,कटुता,कुढ़न न करना आता है।मृदुल व्यक्ति नम्र,विनम्र,सहानुभूति प्रदर्शित करते वाला,धैर्यवान होता है।
मृदुल व्यक्ति में अन्य अतिरिक्त गुण पाये जाते हैं।वह हसमुख होता है।सभ्यता के साथ पेश आता है।उदारवान और दयावान होता है।मृदुल व्यक्ति का ऐसा व्यवहार होता है जिससे विदग्ध हृदय को भी मरहम मिल जाता है।मृदुल व्यक्ति प्रत्येक स्थितियों में सबसे अच्छा व्यवहार करता है।मृदुल व्यक्ति का शब्द,वाणी,प्रेम से सरस ,स्निग्ध होता है;जिससे लोग बात कर अपने संताप को भी दूर कर पाने में सहायता प्राप्त करते हैं।

लेखक,पूर्व जिला विकास अधिकारी,मोटिवेशनल स्पीकर,कई राज्य स्तरीय सम्मानों से विभूषित वरिष्ठ साहित्यकार,ऑल इण्डिया रेडियो का नियमित वार्ताकार,कई पुस्तकों का प्रणयन कर्ता,शिक्षाविद् है;जिसके नाम से,डॉक्टर डी आर विश्वकर्मा बेस्ट पेपर अवार्ड,शिक्षा संकाय(बी एच यू)के शोध छात्रों को प्रदान किया जाता है।

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