माँ कात्यायनी - छठां स्वरूप
नवरात्रि का छठां दिन,दिन अत्यंत पावन,
भक्तिभाव से पूजा करें,माँ का रूप सुहावन।
माँ कात्यायनी रक्षा करें,वंदन वारंबार,
जग विदित कीर्ति माँ की,महिमा अपरंपार।
माँ सिवाय संतति सुरक्षा,कौन करे दूजा,
गोपियों ने की थी,कृष्ण प्राप्ति हेतु पूजा।
मोक्ष दायिनी माँ ,समस्त सुख प्रदायिनी,
अस्त्र-शस्त्र भुजा शोभित,माता सिंहवाहिनी।
इसी रूप में माँ ने,महिषासुर का किया मर्दन,
महिषासुरमर्दिनी नाम पडा़,देवों ने किया नर्तन।
जो भक्त नित करें,माता की आराधना,
धर्म,अर्थ,काम,मोक्ष पूर्ण होती कामना।
लाल रंग अति शुभ, इस दिन का परिधान,
आने वाली हर विपदा का,अवश्य मिले निदान।
महर्षि कात्यायन पुत्री,नाम पड़ा कात्यायनी,
पूजन में शहद प्रिय,भक्तों की वरदायिनी।
कवि चंद्रकांत पांडेय,
मुंबई ( महाराष्ट्र )