गजल/ संपादकीय गजल ग़ज़ल बेटियों की उम्मीदें दम तोड़ती, हैवानियत सिर चढ़कर बोलती। इंसानियत शर्मसार हो… byहिन्दुस्तान जनता न्यूज -जुलाई 31, 2023